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हिमाचल प्रदेश में मास्क-सेनेटाइजर्स की जमाखोरी एवं मुनाफाखोरी पर सात साल तक की जेल होगी। कोरोना वायरस का खतरा सामने आने के बाद प्रदेश में मास्क तथा सेनेटाइजर्स खुले बाजार से गायब हो गए हैं। ब्लैक मार्केट में इसके मुंह मांगे दाम वसूले जा रहे हैं। इसके चलते हिमाचल सरकार ने मास्क तथा सेनेटाइजर्स सहित कोरोना वायरस की रोकथाम वाली चीजों को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत घोषित कर दिया है। केंद्र सरकार के इस अधिनियम 1955 में संशोधन करते हुए 2 परत व 3 परत वाले मास्क तथा एन-95 मास्क सहित सेनेटाइजर्स को अनिवार्य वस्तुओं में शामिल कर लिया है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के सचिव अमिताभ अवस्थी ने इन आदेशों को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है।
इस आधार पर अब हिमाचल में कोई भी व्यक्ति या दुकानदार सेनेटाइजर्स तथा मास्क की जमाखोरी नहीं कर पाएगा। इसके अलावा इन वस्तुओं को एमआरपी के आधार पर बेचना पड़ेगा। इन नियमों की अवहेलना करने वाले के विरूद्ध राज्य सरकार दंडात्मक कार्रवाई करेगी। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के सचिव अमिताभ अवस्थी ने खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि कोरोना वायरस के दृष्टिगत सरकार ने इन्हें अनिवार्य वस्तुएं घोषित किया। हिमाचल प्रदेश सरकार ने कोरोना वायरस (कोविड-19) को फैलने से रोकने के उद्देश्य से एहतियाती कदम उठाने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 में संशोधन करते हुए 2 परत, 3 परत वाले और एन-95 मास्क तथा हाथों के सेनेटाइजर्स को अनिवार्य वस्तुएं घोषित किया है।
केंद्र सरकार के इस निर्णय के दृष्टिगत, प्रदेश सरकार ने भी 30 जून, 2020 तक इन वस्तुओं को हिमाचल प्रदेश जमाखोरी एवं मुनाफाखोरी रोकथाम आदेश, 1977 के अंतर्गत शामिल करने का फैसला किया है। अतः इन वस्तुओं की जमाखोरी और मुनाफाखोरी करने वाले व्यक्ति पर आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग के अधिकारियों और फील्ड अधिकारियों के साथ-साथ अतिरिक्त, उप एवं सहायक दवा नियंत्रकों, मुख्य चिकित्सा अधिकारियों, खंड चिकित्सा अधिकारियों, चिकित्सा अधिकारियों (स्वास्थ्य) और दवा निरीक्षकों को भी इस आदेश के अंतर्गत उनके कार्यक्षेत्र में निरीक्षण, तलाशी और अधिग्रहण की शक्तियां प्रदान की गई हैं।
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