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कोरोना वायरस के चलते आईएमए देहरादून में शनिवार को पासिंग आउट परेड पहली बार नवनियुक्त अफसरों के माता-पिता की गैर मौजूदगी में हुई। अधिकारियों ने इनके कंधे पर सितारे लगाए। योगेंद्र के माता-पिता के मुताबिक बेटे का फोन आते ही उनकी आंखों से आंसू छलक आए। माता-पिता और अन्य रिश्तेदारों ने भी एक-दूसरे को बधाइयां देकर खुशी का इजहार किया।
योगेंद्र की प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर बालकरूपी से हुई है। आठवीं कक्षा के उपरांत वह राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल जिला सोलन के चायल के लिए चयनित हो गए। वहां अगली शिक्षा ग्रहण कर एनडीए की परीक्षा पास कर महाराष्ट्र के पुणे में खड़कवासला चले गए।
हिमाचल प्रदेश के 14 युवा सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। शनिवार को सैनरू अकादमी देहरादून से पासआउट होने के बाद जब परिजनों से फोन पर बात की और तस्वीरें साझा कीं तो माता-पिता की आंखों से आंसू छलक आए। लेफ्टिनेंट बने सभी युवाओं के माता-पिता को इसी बात का मलाल रहा कि वे अपने लाडले कंधों पर अपने हाथ से सितारे नहीं लगा सके। उधर, कोरोना वायरस के चलते परिजनों की गैर मौजूदगी में सैन्य अधिकारियों ने अभिभावक बनकर लेफ्टिनेंट युवाओं के कंधों पर सितारे लगाए। माता-पिता ने वीडियो कॉल से यह नजारा देखा।
देहरादून में शनिवार को हुई पासिंग आउट परेड में जैसे ही परिवार की चौथी पीढ़ी के कंधे पर लेफ्टिनेंट पद के सितारे लगे तो मानों परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लेफ्टिनेंट बने जोगिंद्रनगर के योगेंद्र सिंह ठाकुर के माता-पिता को यह मलाल जरूर रहा कि वे लाडले के कंधों पर अपने हाथ से सितारे नहीं लगा सके। यही नहीं, दारट बगला गांव के योगेंद्र सिंह ठाकुर (21) ने सीनियर अंडर ऑफिसर के रूप में परेड का नेतृत्व भी किया।
वहां से तीन वर्ष का प्रशिक्षण लेने के बाद वर्ष 2019 में आईएमए देहरादून पहुंचे। यहां शनिवार को उन्हें लेफ्टिनेंट पद से नवाजा गया। इनके पिता अनिल ठाकुर गुम्मा वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में प्रधानाचार्य हैं। माता बीना देवी गृहिणी हैं। उनका परिवार तीन पीढ़ियों से सेना में रहकर देश सेवा कर रहा है और चौथी पीढ़ी में योगेंद्र सिंह ने भी इतिहास रचा है।
जुब्बल तहसील के भोलाड गांव निवासी भरत हंसरेटा भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं। शनिवार को इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून में पासिंगआउट परेड हुई। उनकी इस उपलब्धि से परिजनों और क्षेत्रवासियों में खुशी है। भरत ने प्राथमिक शिक्षा डीएवी सरस्वतीनगर से हासिल की। उसके बाद सैनिक स्कूल सुजानपुर टिहरा से जमा दो पास की। 2016 में एनडीए की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद भारतीय सेना की पुणे के खड़गवासला अकादमी से तीन वर्ष का प्रशिक्षण लिया।
इसके बाद इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून में एक वर्ष तक प्रशिक्षण लिया। भरत की पहली पोस्टिंग राजस्थान के गंगानगर में हुई है। वह 84 आर्म्ड रेजिमेंट में बतौर लेफ्टिनेंट सेवाएं देंगे। भरत के दादा नारायण हंसरेटा सेवानिवृत्त शिक्षक है। पिता मनमोहन हंसरेटा बागवान है, जबकि माता मीरा हंसरेटा शिक्षिका हैं। कोरोना से पैदा हुए संकट के चलते बेटे की पासिंग आउट परेड में परिजन शामिल नहीं हो सके।
बड़सर सब डिवीजन के समीपवर्ती गांव बल्याह खुर्द के सैन्य पृष्ठ भूमि रखने वाले सैनिक परिवार के पुत्र अनिमेश अग्निहोत्री लेफ्टिनेंट बने हैं। लेफ्टिनेंट अनिमेश परिवार की चौथी पीढ़ी के सैन्य अधिकारी बने हैं। अपनी पारिवारिक सैन्य परंपराओं का शानदार निर्वहन करते हुए लेफ्टिनेंट अनिमेश ने अपने लक्ष्य को हासिल किया है, जिसमें उसके परिवार के सैन्य परिवेश की शिक्षा-दीक्षा व कड़े अनुशासन के संस्कार मुख्य तौर पर परिलक्षित हो रहे हैं।
अनिमेश के लेफ्टिनेंट बनने से क्षेत्र में जश्न का माहौल है। अनिमेश मेजर एमएल शर्मा के पुत्र हैं, जबकि सूबेदार प्रकाश चंद उनके दादा हैं। इस तरह अनिमेश का पूरा परिवार सेना में सेवाएं देने के लिए प्रख्यात रहा है। अनिमेश के लेफ्टिनेंट बनने पर बड़सर के विधायक इंद्रदत्त लखनपाल और सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने बधाई दी है।
मिल्ट्री अकादमी देहरादून में हुए पासिंग आउट परेड समारोह में देश के मिले 333 सैन्य अधिकारियों में से पालमपुर के परौर का युवक सेना का अधिकारी बना है। हर्षुल राणा के सेना अधिकारी बनने पर परौर गांव में खुशी की लहर है। हर्षुल के पिता डिंपल राणा के इस बात का मलाल है कि कोरोना के चलते वह बेटे की पासिंग आउट परेड शामिल नहीं हो सके। उनके दिल में चाह थी कि वह बेटे के कंधों पर सितारे लगाएं। हर्षुल राणा की प्रारंभिक शिक्षा माउंट कार्मल स्कूल ठाकुरद्वारा से हुई।
इसके बाद उनका चयन सैनिक स्कूल सुजानपुर में हुआ। यहां से जमा दो की पढ़ाई कर सेना में कमीशन प्राप्त किया। हर्षुल के पिता डिंपल राणा और माता सरिता शिक्षक हैं। स्वर्गीय दादा जन्म सिंह व दादी मनभरी देवी भी शिक्षक रहे हैं। नाना रिटायर वायुसेना अधिकारी हैं। हर्षुल की बहन हर्षिता को बेसब्री से भाई के घर आने इंतजार है, लेकिन अब इन्हें छुट्टी के बजाय यूनिटों में भेजा जा रहा है। हर्षुल राणा सिग्नल कोर में हिसार (हरियाणा) में ज्वाइन करेंगे।
नगर पंचायत दौलतपुर चौक के वार्ड नंबर सात के तपिश गौतम भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं। तपिश ने शनिवार को आईएमए देहरादून में सादे समारोह के साथ हुई पासिंग आउट परेड में हिस्सा लिया। तपिश को अब इंडियन आर्मी मरचेंडाइज इनफैंट्री में लेफ्टिनेंट पद पर नियुक्ति मिली है। तपिश के परिवार को बधाइयां देने वालों का तांता लग गया है।
तपिश की जमा दो तक पढ़ाई सैनिक स्कूल कपूरथला से हुई। इसके बाद एनडीए की परीक्षा पास कर पुणे में ट्रेनिग ली। तपिश के पिता अरविंद गौतम व माता अंजना कुमारी पंजाब में जीएसएसएस कमाही देवी में प्राध्यापक हैं। उधर, लेफ्टिनेंट तपिश ने अपनी सफलता का श्रेय अपने दादा विश्वनाथ शर्मा, दादी संतोष गौतम, पिता अरविंद गौतम व माता अंजना कुमारी को दिया है।
उपमंडल ज्वाली की ढसोली पंचायत के तिहाल गांव निवासी अमन शर्मा भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं। वह शनिवार को भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से पासआउट हुए। अमन के पिता राजेश शर्मा रिटायर अध्यापक हैं। माता मंजू लता शर्मा गृहिणी हैं। छोटी बहन आकृति शर्मा धर्मशाला कॉलेज में बीएससी अंतिम वर्ष की छात्रा हैं। अमन की प्रारंभिक शिक्षा कान्वेंट मेन्सा पब्लिक स्कूल देहरी से हुई है। जमा दो के बाद बीएससी धर्मशाला कॉलेज से प्रथम श्रेणी में पास की।
इसके बाद अमन ने कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज की परीक्षा पास कर भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में स्थायी कमीशन प्राप्त किया। देहरादून आईएमए के इतिहास में शनिवार को प्रथम बार कोरोना के चलते पासआउट परेड नवनियुक्त अफसरों के माता-पिता की गैर मौजूदगी में हुई। अमन शर्मा के कंधे पर मेजर ईशान और उनकी पत्नी ने बतौर अभिभावक बनकर स्टार लगाए। अमन शर्मा भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजिमेंट में जम्मू-कश्मीर के द्रास सेक्टर में सेवाएं देंगे। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय परिवार, अध्यापकों और अपनी कड़ी मेहनत को दिया है।
मिल्ट्री अकादमी देहरादून में पासिंग आउट परेड में देश को मिले सैन्य अधिकारियों में जिला मंडी के सरकाघाट क्षेत्र के युवा ने भी अपना नाम दर्ज करवाया है। उपमंडल की ग्राम पंचायत भद्रवाड के गांव डंगार के चिराग गुलेरिया ने इस कामयाबी से क्षेत्र का नाम भी रोशन किया है। चिराग ने यह कामयाबी बिना किसी कोचिंग के हासिल की है।
चिराग की प्रारंभिक शिक्षा डंगार कालर सरकारी स्कूल से हुई और 12वीं सैनिक स्कूल सुजानपुर टीहरा से ए ग्रेड में उतीर्ण की। बाद में बिना किसी कोचिंग के पहली ही बार एसएसबी की परीक्षा पास की है। चिराग गुलेरिया की माता प्रोमिला देवी साइंस अध्यापक और पिता राजकुमार गुलेरिया मंडप स्कूल में कॉमर्स के प्रवक्ता हैं। दादा भूप सिंह भी शिक्षक रिटायर हुए हैं व दादी कमला देवी गृहणी हैं।
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