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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने विभिन्न राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) एवं मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के तहत खरीदे गए दालों के स्टॉक से विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में उपयोग के लिए रियायती दर पर चना (दाल) का निपटान और अरहर, उड़द तथा मसूर के संबंध में मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत खरीद की मात्रात्मक सीमा को मौजूदा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने को मंजूरी दे दी है। इस स्वीकृत योजना के तहत, विभिन्न राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकारों को ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर आपूर्ति करने वाले राज्य के निर्गम मूल्य पर आठ रुपये प्रति किलोग्राम की छूट पर 15 लाख मीट्रिक टन चने के उठाव की पेशकश की गई है।
इससे विभिन्न राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को अपने-अपने राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश में मध्याह्न भोजन, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, समेकित बाल विकास कार्यक्रम (आईसीडीपी) आदि जैसे विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं/कार्यक्रमों में इन दालों का उपयोग करने की सुविधा मिलेगी। यह छूट 12 महीने की अवधि के लिए या चने के 15 लाख मीट्रिक टन स्टॉक के पूर्ण निपटान तक, जो भी पहले हो, एकमुश्त होगी। इस योजना के कार्यान्वयन पर सरकार 1200 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इन निर्णयों से विभिन्न राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), मध्याह्न भोजन योजना आदि जैसी विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में चने का उपयोग करने में सक्षम होंगे। इसके अलावा, इन कदमों के जरिए आगामी रबी मौसम में मूल्य समर्थन योजना के तहत खरीदे जाने वाले ताजा स्टॉक को समायोजित करने के लिए गोदामों में पर्याप्त जगह उपलब्ध कराई जा सकेगी और किसानों को दालों का लाभकारी मूल्य दिलाने में मदद मिलेगी।
साथ ही, अधिक निवेश करके ऐसी दालों की खेती करने के लिए और अधिक संख्या में किसानों को प्रोत्साहित किया जा सकेगा तथा उन्हें उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने में सहायता प्रदान की जा सकेगी। इसके अलावा, यह कदम हमारे देश में ऐसी दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनने में भी मदद करेगा। हाल के समय में, विशेष रूप से पिछले तीन वर्षों के दौरान देश में चना (दाल) का अबतक का सबसे अधिक उत्पादन हुआ है। भारत सरकार ने मूल्य समर्थन योजना के तहत वर्ष 2019-20, 2020-21 और 2021-22 के दौरान रबी मौसम में चने की रिकॉर्ड खरीद की है। इसकी वजह से सरकार के पास पीएसएस और पीएसएफ के तहत 30.55 लाख मीट्रिक टन चना उपलब्ध है और आने वाले रबी सीजन में भी चने का उत्पादन अच्छा होने की उम्मीद है। ऐसी स्थिति में वर्ष 2022-23 के दौरान चने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि करते हुए मूल्य समर्थन योजना के तहत अतिरिक्त खरीद करने की जरूरत होगी।
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