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कोरोना काल में करीब तीन महीने से हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के कर्मचारियों को अब वेतन के लाले पड़ने लगे हैं। महीने के आखिरी दिनों तक भी सभी मुलाजिमों को वेतन नहीं मिल पा रहा। इस बार 26 जून तक भी सभी कर्मचारियों को पगार नहीं मिल पाई। बताते हैं कि सरकार की ओर से केवल दो करोड़ रुपए वेतन के लिए जारी किया गया है, जो कि नाकाफी है। क्योंकि प्रदेश भर की विभिन्न इकाइयों में तैनात करीब 1750 मुलाजिमों की महीने की पूरी पगार साढ़े पांच करोड़ रुपए बनती है,
लेकिन इस बार केवल दो करोड़ रुपए ही सरकार की ओर से जारी किए गए हैं। इससे केवल निगम के 30 से 35 फीसदी कर्मचारियों को ही पगार दी जा सकती है। सरकार के इस रवैए को देखते हुए हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम कर्मचारी संघ ने शुक्रवार को आपात बैठक की। इसमें सर्वसहमति से निर्णय लिया गया कि दिन-रात सेवा करने के बावजूद यदि उनकी मांगें नहीं मानी जाती, तो आने वाले समय में सभी कर्मचारी सचिवालय का घेराव कर सकते हैं। संघ के नेताओं ढाबें राम, मलकीयत सिंह पठानिया, कृपाल ठाकुर, वीरेंद्र कुमार, हेमराज ठाकुर, देशराज व तरसेम सिंह आदि ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मांग की है कि उन्हें हर महीने की सात तारीख को वेतन देने की व्यवस्था करवाएं। उन्होंने सरकार को चेताया है कि अगर सही समय पर वेतन तथा वर्षों से लंबित भत्ते नहीं दिए जाते हैं
, तो कर्मचारी संघ कठोर कदम उठाने से भी गुरेज नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि पर्यटन को विश्व के मानचित्र पर उभारने के लिए जो केंद्र से अनुदान दिया जाता था, वे भी अब बंद कर दिया गया है। संघ ने निगम की प्रबंध निदेशक कुमुद सिंह के प्रयासों की सराहना की है, जो लगातार उनके मामले सरकार के समक्ष उठाती रहती हैं। बहरहाल, कर्मचारयों ने दोटूक कहा है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं, तो सचिवालय का घेराव किया जाएगा।
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