News portals-सबकी खबर(पांवटा साहिब)
केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष डॉ अमित चंद कमल ने आरटीआइ के तहत केंद्रीय हाटी समिति की ओर से केंद्रीय गृह मंत्रालय और प्रधान सचिव हिमाचल प्रदेश से मांगी गई सूचना पर दोनों मंत्रालयों से मिली पत्रों से हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा मिलने की आस अब जाग उठी है । अध्यक्ष डॉ अमित चंद कमल ने बताया कि गृह मंत्रालय में आरटीआई लगाई थी जिसमे गत वर्ष प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने गृह मंत्रालय अमित शाहा से मिलकर गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय दर्जा दिए जाने की बात कही थी उस पर गृह मंत्रालय ने क्या कार्रवाई की इसके उत्तर में गृह मंत्रालय ने लिखा है कि उन्होंने यह मामला रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया को उचित कार्रवाई के लिए प्रेषित किया था ।
केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष डॉ अमित चंद कमल ने बतया कि हमारी रिप्रेंजेटशन को याचिका ही कंसीडर किया है। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग 1979 में गिरिपार को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने की सिफारिश कर चुका है। लेकिन आरजीआइ 2016 से लगातार अड़ंगा डाल रहा है। उम्मीद है कि राज्य सरकार आपत्तियों को दूर करेगी। समिति ने प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सबको केस रिप्रेजेंट किया है।
वही प्रधानमंत्री कार्यालय ने राज्य सरकार से सिरमौर जिला के हाटी मसले पर रिपोर्ट तलब की है। गिरिपार को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने के दशकों से लंबित मामले में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया कार्यालय (ओआरजीआइ) ने साफ कर दिया है कि वह पुरानी आपत्तियों को तब तक रिव्यू नहीं करेगा, जब तक हिमाचल सरकार इन्हें दूर करने के लिए नई रिपोर्ट नहीं सौंपेगी। आरजीआइ के इस रुख को केंद्रीय हाटी समिति ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पास चुनौती दी। आयोग ने समिति को जनजातीय विकास मंत्रालय के पास जाने की सलाह दी। समिति ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा। प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस रिप्रेजेंटेशन को याचिका कंसीडर किया और त्वरित कार्रवाई करते हुए हिमाचल के मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी है। अब राज्य सरकार केंद्र को तथ्यों पर आधारित नई रिपोर्ट तैयार करेगी। इसमें आरजीआइ की आपत्तियों को दूर करने की कोशिश होगी।
नोडल एजेंसी ने की है सिफारिश
केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त नोडल एजेंसी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का जनजातीय विकास अध्ययन केंद्र गहन अध्ययन कर रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजा चुका है। इसमें केंद्र ने गिरिपार को एसटी का दर्जा देने की सिफारिश की गई है।
क्या है आपत्ति
आरजीआइ कार्यालय ने सबसे बड़ी आपत्ति यही लगाई है कि गिरिपार का हाटी समुदाय इकलौता समुदाय नहीं है। हालांकि हाटी समुदाय का तर्क है कि किन्नौर, लाहुल, उत्तराखंड का जोंसार बाबर भी इकलौता समुदाय नहीं है। फिर यह मानक सिरमौर के लिए क्यों लागू हो। यह मुद्दा सिरमौर के करीब तीन लाख लोगों के हितों से जुड़ा हुआ है। मंत्रिमंडल ने की है सिफारिश
प्रदेश मंत्रिमंडल में गिरिपार को एसटी घोषित करने की सिफारिश पहले ही हो चुकी है। पूर्व काग्रेस सरकार ने इस संबंध में पहल की थी। मौजूदा सरकार ने इस मसले को केंद्र सरकार के समक्ष प्रमुखता से उठाया है। वहीं राज्यपाल ने प्रस्ताव को अनुमोदित किया। पूर्व सरकार के कार्यकाल में यह नहीं हो पाया था। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस मामले की केंद्र के पास प्रमुखता से पैरवी की है।
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