Breaking News :

मौसम विभाग का पूर्वानुमान,18 से करवट लेगा अंबर

हमारी सरकार मजबूत, खुद संशय में कांग्रेस : बिंदल

आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद 7.85 करोड़ रुपये की जब्ती

16 दिन बाद उत्तराखंड के त्यूणी के पास मिली लापता जागर सिंह की Deadbody

कांग्रेस को हार का डर, नहीं कर रहे निर्दलियों इस्तीफे मंजूर : हंस राज

राज्यपाल ने डॉ. किरण चड्ढा द्वारा लिखित ‘डलहौजी थू्र माई आइज’ पुस्तक का विमोचन किया

सिरमौर जिला में स्वीप गतिविधियां पकड़ने लगी हैं जोर

प्रदेश में निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निवार्चन के लिए तैयारियां पूर्ण: प्रबोध सक्सेना

डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं गवर्नेंस ने किया ओएनडीसी पर क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन

इंदू वर्मा ने दल बल के साथ ज्वाइन की भाजपा, बिंदल ने पहनाया पटका

November 23, 2024

एसीसी सीमेंट से सटीं पंचायतों में पिछले 20 सालों में 32 बच्चे मानसिक रूप में कमजोर पैदा हुए

एक ही गांव के 11 बच्चे मानसिक रूप में कमजोर

बिना उपचार छोड़ा पानी गर्भवती महिला पर डालता है असर

News portals-सबकी खबर (बिलासपुर)

बिलासपुर में एसीसी सीमेंट फैक्टरी से सटी चार पंचायतों  में पिछले 20 सालों में 32 बच्चे मानसिक रूप में कमजोर पैदा हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार हरनोड़ा पंचायत में 20, बैरी पंचायत में 1, गुग्गा भटेड़ में 5, धार टटोह में 3 और बलोह में तीन बच्चे मानसिक रूप से कमजोर हैं, जो साल 2000 से 2020 के बीच पैदा हुए हैं। इसका खुलासा जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी के आदेश पर बीएमओ की ओर से तैयार रिपोर्ट में हुआ है। चिकित्सकों ने मौके पर जाकर इसका डाटा तैयार किया है।इनमें 11 बच्चे एक ही गांव के हैं।

ये पंचायतें सीएचसी पंजगाईं के तहत आती हैं। करीब ढाई साल पहले तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार के आदेशों के बावजूद आज तक स्वास्थ्य विभाग यह पता नहीं लगा पाया है कि इसके पीछे क्या कारण हैं। स्वास्थ्य मंत्री रहते विपिन परमार ने जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी और जिला उपायुक्त को इन बच्चों के मानसिक रूप से कमजोर होने के कारणों का पता लगाने के लिए रिपोर्ट तैयार करने के आदेश दिए थे। एक टीम बनाकर मिट्टी और पानी की जांच को भी कहा था। स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे बच्चों का डाटा तो तैयार किया लेकिन, इस बात का कोई निष्कर्ष नहीं निकला कि ये मानसिक रूप में कमजोर कैसे पैदा हुए। इनके परिवारों में दूर-दूर तक ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो मानसिक रूप से कमजोर है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि सीमेंट कंपनी से निकलने वाला पानी अगर बिना उपचार के छोड़ा जाता है तो यह कृषि योग्य जमीन और पानी के स्रोतों को दूषित कर सकता है। इस पानी का असर इसका उपयोग करने वाली गर्भवती मां और बच्चों पर पड़ता है। जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने इस संबंध में रिपोर्ट तैयार करने के आदेश दिए थे। चिकित्सकों ने मौके पर जाकर डाटा तैयार कर आगामी कार्रवाई के लिए सीएमओ बिलासपुर को भेज दिया है। यह जांच का विषय है कि इतने से क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में मानसिक रूप से कमजोर बच्चे कैसे पैदा हो गए। विभाग के स्टेट प्रोग्राम अधिकारी को रिपोर्ट तैयार कर भेज दी है। कोरोना की वजह से आगामी कार्रवाई नहीं हो पाई है। अब इसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा। एजेंसियों को जांच के लिए लिखा जाएगा।  – डॉ. प्रकाश दड़ोच, सीएमओ बिलासपुरमामले की अभी जानकारी मिली है। इस संबंध में सीएमओ बिलासपुर और उपायुक्त बिलासपुर से बात कर आगामी कार्रवाई के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए जाएंगे।

Read Previous

हिमाचल में आज से इन नियमो के साथ स्कूल-कॉलेजों में लगेंगी नियमित कक्षाएं

Read Next

शिक्षकों को कोरोना योद्धा करे घोषित ,प्रशिक्षित कला स्नातक संघ ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से की मांग

error: Content is protected !!