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ऊना की जनकौर पंचायत में कृषि विभाग के अफसरों ने निरीक्षण किया। निरीक्षण में पाया गया कि गांव के एक किसान ने आलू की फसल की अधिक पैदावार पाने के लिए 4 हेक्टेयर भूमि में 25 क्विंटल (50 बैग) यूरिया खाद डाल दी। खेतों में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ने से जमीन का संतुलन बिगड़ गया और आलू की फसल आधी हुई। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार यूरिया के प्रयोग से मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है। मिट्टी में कार्बो और नाइट्रोजन बढ़ने से मिट्टी का संतुलन खराब हो जाता है।
इससे पौधों को फास्फोरस और पोटाश जड़ों को मिल नहीं पाता। इससे फसलों की पैदावार में गिरावट आ जाती है। नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए किसान खेतों में यूरिया डालते हैं, लेकिन वे फास्फोरस और पोटाश का प्रयोग नहीं करते। मिट्टी में यूरिया, फास्फोरस और पोटाश डालने की मात्रा 4:2:1 होनी चाहिए।
कृषि उपनिदेशक डॉ. अतुल डोगरा ने कहा कि किसान गोबर, रिच ऑर्गेनिक मेनूयर का प्रयोग करें। जिससे मानव जीवन में बढ़ रही बीमारियों को रोका जा सके। साथ ही भूमि संतुलन को भी बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि यूरिया डालने से फसलों की पैदावार नहीं बढ़ती, सिर्फ देखने के लिए पौधे हरे-भरे हो जाते हैं।
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