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प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान 500 लोगों ने मौत को गले लगाया । इनमें से सबसे ज्यादा 18 से 35 साल की उम्र के बीच के युवा थे। स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के साइकोलॉजी विभाग के सर्वे में यह खुलासा हुआ है। मोबाइल बेस्ड इस सर्वे में शिमला, मंडी और चंबा के लोगों से सवाल किए गए थे। करीब 75000 लोगों को मोबाइल पर विभिन्न तरह के सवाल भेजे गए थे। लोगों से 10 सवालों के जवाब मांगे गए थे, जिनमें यह पूछा गया था कि इस महामारी के दौरान क्या आपने अपनी नौकरी तो नहीं गवाईं, इसके अलावा क्या दिमाग में सुसाइड के ख्याल आते हैं या नहीं। तीन सप्ताह के लिए यह सर्वे किया गया था।
पहले सप्ताह में 5000 लोगों ने इस पर रिस्पांस किया है। इसके अलावा सर्वे में यह भी सामने आया है कि 10 जनवरी से 25 जुलाई तक के समय में सबसे ज्यादा लोगों के सुसाइड किया। पुलिस के अनुसार शिमला, हमीरपुर और कांगड़ा में सबसे ज्यादा लोगों ने आत्महत्याएं की है। यहां पर 18 से 25 साल की उम्र के बीच में युवाओं ने सबसे ज्यादा सुसाइड किया है। जांच में यह भी खुलासा हुआ है ज्यादातर सुसाइड का मुख्य कारण वित्तीय दिक्कत, बेरोजगारी, शादी के बाद तनाव, नशे का सेवन, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, पेपरों में पास न हो पाना, प्रेम प्रसंग और पारिवारिक समस्याएं आत्महत्या का मुख्य कारण हैं।
वहीं आईजीएमसी के मनोचिकित्सा विभाग के एचओडी डा. दिनेश दत्त का कहना है कि मेंटल हेल्थ समस्या और सुसाइड के केस महामारी के दौरान बढ़े हैं। कई लोग जानकारी के अभाव में अपना उपचार तक नहीं करवा सके। 70 से 80 प्रतिशत सुसाइड करने वाले लोगों में डिप्रेशन के मरीज थे। ऐसे में डाक्टर ने भी लोगों से आग्रह किया है कि वे अपने परिवार के सदस्यों पर नजर रखें और ये देखते रहें कि कहीं वे अकेले-अकेले और चुपचाप तो नहीं रहने लगे हैं।
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