Newsportals-सबकी खबर (रेणुकाजी)
गिरी नदी पर बनने वाली मात्र 40 मेघवाट की रेणुकाजी बांध परियोजना का वास्तविक निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही इस पर करीब 780 करोड़ का बजट खर्च हो चुका है, जिसमे से 447 करोड़ से अधिक की राशि विस्थापित होने वाले किसानो को मुआवजे के रुप मे जारी हो चुकी है। गत 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा करीब 7,000 करोड़ की इस परियोजना के शिलान्यास के बाद यहां विभिन्न गतिविधियां तेज हो चुकी है, हालांकि अभी भी निर्माण कार्य के ग्लोबल टेंडर मे लंबा समय लग सकता है। सोमवार को राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की 14वीं बटालियन, आरआरसी नालागढ़ द्वारा इस परियोजना के महाप्रबंधक रूप लाल के सहयोग से प्रस्तावित डैम के संवेदनशील स्थानों का दौरा किया गया और आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना बारे जानकारी हासिल की गई। बटालियन ने जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सिरमौर व राजकिय महाविद्यालय ददाहू मे आपदा के दौरान खोज एवं बचाव कार्य में इस्तेमाल आने वाले विभिन्न प्रकार के उपकरणों, लाइफबोट्स व कंक्रीट कटर, वुड कटर एवं इसके साथ ही तरह-तरह के आधुनिक उपकरणों की प्रदर्शनी लगाई और के लगभग 200 छात्रों को इन उपकरणों के इस्तेमाल संबंधित जानकारी दी। इस अवसर पर राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के डिप्टी कमांडेंट रजनीश शर्मा, असिस्टेंट कमांडेंट सागर सिंह पाल, निरिक्षक अमर उजैन, उप-निरिक्षक आनंद, उप-निरिक्षक गोविंद मिणा व 27 अन्य प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
विस्थापित संघर्ष समिति ने दिया 1 माह का अल्टिमेटम
पीएम मोदी द्वारा करीब 7,000 करोड़ ₹ के राष्ट्रीय महत्व के इस बांध का शिलान्यास किये जाने के बाद विस्थापित होने वाले किसानों की संघर्ष समिति की गतिविधियां तेज हो गई है। जन संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल सोमवार को दादाहु में योगेंद्र कपिला की अध्यक्षता में बांध के जीएम रूपलाल से मिला और 1 माह मे एमपीएफ कार्ड व मुआवजे का व्यौरा जारी करने का अल्टीमेटम दिया। बैठक मे उपायुक्त सिरमौर व एचपीपीसीएल के एमडी के साथ बैठक करने पर भी चर्चा हई। समिति अध्यक्ष योगेंद्र कपिला, महासचिव संजय चौहान व सहसंयोजक पीसी शर्मा आदि पदाधिकारियों ने गत 24 दिसंबर को उपायुक्त सिरमौर के 1 माह के आश्वासन के बावजूद सभी 1142 के करीब विस्थापित परिवारों को एमपीएफ पहचान पत्र न दिए जाने व मुआवजे का व्यौरा न मिलने पर रोष जताया। उन्होने बांध प्रबंधन व जिला प्रशासन द्वारा एक माह मे मांगे पूरी न किए जाने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी भी दी।
1962 से बजट के अभाव मे लंबित रही परियोजना
वर्ष 1962 से प्रस्तावित अथवा चर्चिच रेणुकाजी बांध के शिलान्यास से एक तरफ जहां क्षेत्रवासियों मे काफी उत्साह है, वही साईड इफेक्ट की चिंता भी है। विडंबना यह भी है कि, गिरी नदी के साथ लगते उपमंडल संगड़ाह, पच्छाद, नाहन व पांवटा के दर्जनों गांवों मे आज भी पेयजल संकट है और पानी दिल्ली भेज कर “घर मे नही दाने, अम्मा चली भुनाने” की कहावत भी क्षेत्र मे चर्चा में है। राजनीतिक इच्छाशक्ति व बजट के अभाव मे 1960 के दशक सिरे न चढ़ सकी रेणुकाजी बांध परियोजना का 1993 मे फिर से इंवेस्टिगेशन कार्य शुरू होने के बाद से हर विधानसभा व लोकसभा चुनाव मे यह मांग मुख्य मुद्दा रहती थी। रेणुकाजी बांध परियोजना के महाप्रबंधक इंजीनियर रूपलाल ने कहा की, विस्थापितों से सोमवार को सौहार्दपूर्ण माहोल मे बात हुई। महाप्रबंधक के अनुसार इस परियोजना से देश की राजधानी दिल्ली सहित आधा दर्जन राज्यों को एमओयू के अनुसार पानी की सप्लाई होंगी। निर्माण राशि का 90% हिस्सा केंद्र सरकार जबकि 10 प्रतिशत 6 राज्य वहन करेंगे। जीएम के अनुसार गर्मियों व सर्दी मे बेशक नदी मे पानी काफी कम है, मगर बरसात में आने वाला वाढ़ का पानी इकट्ठा कर कईं दिन सप्लाई किया जा सकेगा। गिरि नदी के पूरे साल के डिस्चार्ज के आधार पर ही विशेषज्ञों ने रिपोर्ट तैयार की और बांध बनने पर कुछ हद तक स्थाई डिस्चार्ज भी बढ़ जाएगा। गौरतलब है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 27 दिसंबर 2021 को हिमाचल प्रदेश को 11,000 करोड़ रुपए की सौगात दी। रोचक तथ्य यह भी है कि, बांध का वास्तविक निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही इस प्रोजेक्ट पर अब तक करीब 780 करोड़ खर्च भी हो चुके हैं और इसमे से करीब 447 करोड़ विस्थापित होने वाले किसनों को मुआवजे के रूप मे दिए जा चुके है।
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