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प्रदेश में सूखे जैसे हालात पैदा हो रहे है। दिसंबर में 97 फीसदी कम बारिश हुई है। राज्य में इस महीने अनूमन 17.7 फीसदी सामान्य बारिश होती है। मगर, इस बार 0.5 फीसदी बारिश ही हुई है। अन्य सभी 11 जिलों में एक बूंद पानी का नहीं गिरा। इससे प्रदेश का किसान-बागवान मुश्किल में आ गया है।लंबे ड्राई स्पैल की वजह से किसान गेहूं की बुआई नहीं कर पा रहा है। बुआई का उचित समय भी लगभग बीत गया है। जिन किसानों ने सिंचाई करके गेहूं की बुआई कर दी थी, उनकी जमीन में नमी नहीं होने से अंकुर नहीं फूट पा रहे हैं।इससे आगामी दिनों में गेहूं के उत्पादन में गिरावट होगी। किसान फूलगोभी, मटर इत्यादि नगदी फसलों की रोपाई भी नहीं कर पा रहे हैं। ठीक इसी तरह सूखे के कारण बागवान भी बगीचों में तोलिएं बनाने व सेब की कांट-छांट का काम नहीं कर पा रहे हैं। सूखे की वजह से सेब बगीचों में वूलि-एफिड बीमारी का खतरा बढ़ गया है। बारिश-बर्फबारी नहीं होने से चिलिंग पूरा होने से भी अब सेब पर संकट मंडराने लगा है। चिलिंग ऑवर्ज पूरे नहीं होने से सेब व दूसरे फलों की अच्छी फसल की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।हिमाचल में सिंचाई योजनाओं पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद 78 फीसदी से ज्यादा जमीन पर किसानों की फसलें बारिश के पानी पर निर्भर रहती है, यानी लगभग 22 फीसदी जमीन पर ही किसानों के पास सिंचाई की सुविधा मौजूद है। शेष भूमि पर किसान आसमान की ओर देखकर खेती करते हैं। मौसम विभाग के पूर्वानुमान ने प्रदेशवासियों की चिंताएं ओर ज्यादा बढ़ा दी हैं, क्योंकि प्रदेश में अगले 4-5 दिन तक भी बारिश होने की कोई संभावना नहीं है। हमीरपुर, मंडी और बिलासपुर में घने कोहरे की चेतावनी जरूर जारी की गई है।
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