News portals-सबकी खबर(संगड़ाह)
आस्था केमंदिर में रहने वाला देवता अपने एक मंदिर में केवल छः माह तक रहने वाले गण देवता सोमवार को शीतकालीन प्रवास के लिए कड़ियाना मंदिर चले गए। बैसाखी से दीपावली तक उक्त देवता गृष्मकालीन प्रवास के दौरान उपमंडल संगड़ाह के गांव डुंगी में रहते हैं।
गोण अथवा खण देवता के प्रस्थान से पूर्व डुंगी गांव में मौजूद उनके मंदिर में सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने पारम्परिक पोड़ोई पूजन किया। बता दे कि पारम्परिक वाद्य यंत्र दमेनू, ढोल व नगाड़े की ताल पर पूजा-अर्चना के बाद देवता की रवानगी हुई। कड़ियाना मंदिर में प्रवेश से पूर्व देवता साथ लगते गांव लुधियाना में भेंट के लिए पहुंचे, जहां चार गांव के लोगों ने उन्हें अनाज तथा अन्य चीजें भेंट करने की परम्परा निभाई।
जानकारी के अनुसार गोण महाराज क्षेत्र के एक मात्र देवता है जिनके विशेष जागरण के दौरान सात बली चढ़ती है। इनकी आराधना की पद्धति भी अलग है। बहरहाल करीब तीन शताब्दी पुरानी परम्परा के अनुसार देवता छः माह के शीतकालीन प्रवास पर निकल गए।
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