News portals-सबकी खबर ( संगड़ाह)
जिला सिरमौर के उपमण्डल संगड़ाह के अंतर्गत आने वाले 26 किलोमीटर लंबे रेणुकाजी बांध से विस्थापित होने वाले सबसे बड़े गांव सीऊं के किसानों ने मौजूदा शर्तों व परिस्थितियों पर असहमति जताते हुए पुनर्वास संबंधी इच्छा पत्र पर साइन नहीं किए। गांव सीऊं में परियोजना के वरिष्ठ प्रबंधक सुनील गुप्ता की मौजूदगी में विस्थापितों की पुनर्वास संबंधी राय लेने के लिए शुक्रवार को विशेष बैठक आयोजित की गई। बैठक में मौजूद स्थानीय ग्रामीण एवं विस्थापित संघ जन संघर्ष समिति के अध्यक्ष योगेंद्र कपिला ने बांध प्रबंधन द्वारा पुनर्वास अथवा मकान बनाने के लिए मात्र सात लाख के करीब की राशि दिए जाने तथा उनके लिए विवादित एवं खस्ताहाल जमीनों के चयन पर कड़ी आपत्ति जताई।
उन्होंने खेती मजूरों तथा भूमिहीन हो चुके किसानों को लेकर एचपीपीसीएल की रिपोर्ट पर भी आपत्ति जताई। विस्थापित समिति के संयोजक एवं पूर्व भाजपा मंडल अध्यक्ष प्रताप तोमर के अनुसार बांध प्रबंधन द्वारा एक दशक पूर्व चाकली नामक स्थान पर खरीदी गई जमीन जहां खाई अथवा ढांक वाली है, वहीं टोकियों वाली भूमि नदियों के बाढ़ वाले हिस्से में है, जबकि अंबोया वाली जमीन में विवादित हैं। उन्होंने कहा कि, उक्त भूमि की पूर्व प्रदेश सरकार द्वारा विजिलेंस जांच भी कराई गई थी। इस दौरान बांध प्रबंधन द्वारा 64 के करीब स्थानीय परिवारों को पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण की इच्छा फॉर्म जारी किए गए। ग्रामीणों के अनुसार मौजूदा शर्तों व परिस्थितियों के मुताबिक वह पुनर्वास के लिए सहमत नहीं है।
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