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जिला हमीपुर के सरकारघाट में हुई घटना मेंयह दर्द ……मुंह की बात सुने हर कोई, दिल के दर्द को जाने कौन…।’ मशहूर शायर निदा फाजली द्वारा वर्षों पहले लिखी इन पक्तियों के पीछे छिपे मायने आज तब समझ में आ रहे हैं जब जीवन के आखिरी पड़ाव पर बैठी एक 81 साल की बुजुर्ग पर धर्म के कुछ ठेकेदारों ने न केवल कीचड़ उछाला, बल्कि उसके साथ ऐसा बर्ताव किया कि किसी की भी रूह कांप जाए। छह नवंबर को सरकाघाट के समाहल गांव में देव आस्था के नाम पर कुछ लोगों द्वारा 81 वर्षीय राजदेई को जो दर्द दिया गया, उसे बुजुर्ग के अलावा कोई महसूस नहीं कर सकता।
अगर जख्म शरीर पर होता तो शायद भर भी जाता, लेकिन इस उम्र में मन में लगी चोट को न राजदेई भूल पाएगी और न उस मां की वह बेटी, जिसके आंसुओं का सैलाब उस दिन के बाद से आज तक रुका ही नहीं है। सिसकियां कब चीखों में बदल जाती हैं, उस मां की बेटी तृप्ता को इसका पता ही नहीं चलता। वे हर वक्त खौफ में रहती हैं कि वे उन्हें मार देंगे।
जिस मायके में जाने के लिए बेटियां हर वक्त आतुर रहती हैं, वहां जाने से भी डरती है अब तृप्ता। वह कहती है कि अब वे कभी वहां नहीं जाएंगे। सब कुछ छोड़ देंगे, लेकिन वहां नहीं जाएंगे। बिस्तर पर पड़ी बूढ़ी मां की दर्द भरी ऊंघ बेटी की पीड़ा को और बढ़ा देती ह। कब रात आती है कब सवेरा हो जाता है, न शायद राजदेई को पता लग पा रहा है, और न बेटी तृप्ता को। राजदेई की आंखों में डरावने मंजर तैरते रहते हैं तो बेटी तृत्ता की आंखें मां की पीड़ा देख आंसुओं से भीगी रहती हैं।
मंगलवार को दोपहर बाद कांग्रेस नेता मुकेश अग्निहोत्री जब हमीरपुर में बुजुर्ग राजदेई का हाल जानने पहुंचे, तो वह कुछ कह न पाई, लेकिन बेटी तृप्ता फूट-फूट कर रोई। वह रोते-रोते बस यही कर रही थी कि उन पाखंडियों को माफ न किया जाए, वरना वे किसी और की मां के साथ भी ऐसा ही करेंगे। तृप्ता देवी का कहना है कि देवता सच्चा है, लेकिन कुछ लोगों ने देवता के नाम पर पाखंडी मंडली बना रखी है। बेटी तृप्ता एक पल के लिए भी मां को अकेला नहीं छोड़ना चाहती। अब उच्च न्यायलय ने जिस तरह इस मामले में संज्ञान लिया है, उसे देखकर पीडि़त परिवार को उम्मीद जगी है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
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