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कांग्रेस के आंदोलन में भी कई नेता कन्नी काटते रहे। इस पर कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल ने भी दो टूक शब्दों में एलान कर दिया था कि पार्टी अनुशासन भंग करने वालों पर कार्रवाई होगी। अब इस फैसले के बाद कई नेताओं की कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी, कोषाध्यक्ष अहमद पटेल, मोती लाल वोरा से मुलाकातें भी तय हो गई हैं।
हिमाचल कांग्रेस के पदाधिकारियों की अंदरखाने आपसी लड़ाई महंगी पड़ गई। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर और नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के दिल्ली दरबार से लौटते ही हाईकमान ने पीसीसी समेत डीसीसी और बीसीसी पर गाज गिराई है। अब तक के कार्यकाल में प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप पुरानी कार्यकारिणी से काम चलाने को विवश रहे औरपार्टी में एकजुटता के लिए संतुलन बनाते रह गए। हालांकि, उन्होंने प्रदेश के नए साठ ब्लाक अध्यक्षों की तैनाती भी कर दी थी।
अब हाईकमान ने मात्र राठौर की नियुक्ति को बरकरार रखते हुए पार्टी की पूरी फौज पर नजला गिराया है। इससे पहले एआईसीसी में केंद्रीय नेताओं से प्रदेश कांग्रेस के अलग-अलग गुटों के दिग्गज बराबर संपर्क बनाए रहे और एक-दूसरे पर छींटाकशी करते रहे। लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव में लगातार मिली हार के बाद से यह गुट सक्रिय हो गए और वे कोई भी मौका हाथ से नहीं गंवाने देना चाहते थे। धर्मशाला और पच्छाद विधानसभा उपचुनाव में कई नेता कांग्रेस प्रत्याशियों के प्रचार में आगे नहीं आए।
इन नेताओं को क्यों बुलाया गया है, इसके भी कई मायने निकाले जाने लगे हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर कहते हैं कि हाईकमान उनके काम से संतुष्ट है। हाईकमान ने जो काम उनको दिए हैं, उनको सफलतापूर्वक पूरा किया गया है। प्रदेश में चलाए आंदोलन की रिपोर्ट प्रभारी रजनी पाटिल ने हाईकमान को दी है। उनके काम को सराहा गया है।
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