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हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर व शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज के नेतृत्व में लगातार दूसरी बार बड़े राज्यों की श्रेणी में शिक्षा के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ राज्य का दर्जा मिलना हिमाचल वासियों के लिए गर्व की बात है। इस समान से सम्पूर्ण शिक्षा जगत में इस सम्मान से उत्साह एवम् खुशी की लहर दौड़ रही है।
शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश द्वारा किये जा रहे सफल प्रयोगों के फलस्वरूप हो रहे सुधारों के परिणामस्वरूप यह पुरस्कार हिमाचल जैसे पहाड़ी व दुर्गम प्रदेश को मिलना अतीव गौरव व प्रेरणा का विषय है।इससे देश के अन्य राज्यों को भी प्रेरणा मिलेगी।
प्राथमिक विद्यालयों में नर्सरी से दाखिला देने की शुरूआत,अटल आदर्श विद्यालय योजना,अखण्ड शिक्षा ज्योति मेरे स्कूल से निकले मोती योजना,स्मार्ट वर्चुअल क्लासरूम शिक्षण योजना,मुख्यमंत्री निशुल्क वर्दी व बैग योजना,समग्र शिक्षा अभियान के अन्तर्गत कई ऐसी योजनाएं हैं जिनके फलस्वरूप हिमाचल में शिक्षा के क्षेत्र में कई अभूतपूर्व परिवर्तन आए हैं।
हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ जिला सिरमौर के जिला महामंत्री व प्रांत उपाध्यक्ष विजय कंवर ने जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा कि इस सम्मान के लिए सरकार,शिक्षा विभाग,समस्त शिक्षक व गैर शिक्षक स्टाफ तथा शिक्षार्थियों को हार्दिक बधाई हो।प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में दिन दुगुनी रात चौगुनी उन्नत्ति करता रहे। इसके लिए सरकार व शिक्षा विभाग को शिक्षा के क्षेत्र में किये जा रहे नित नये प्रयोगों की भी समीक्षा करनी होगी।कहीं ऐसा न हो कि देश के भविष्य का निर्माण करने वाले विद्यालय मात्र प्रयोगशाला बनकर रह जाएं।
शिक्षा क्षेत्र में लागू की जा रही योजनाओं को धरातल पर सही तरीके से उतारने के लिए यह सबसे ज्यादा जरूरी है कि जिस शिक्षक पर इसका सबसे अधिक दायित्व है उसका अपना भविष्य तो सुरक्षित हो।परन्तु पूर्व व कुछ हद तक वर्तमान सरकार की भी लचर नीतियों के कारण पीटीए,पैट,पैरा,एस एम सी आदि ऐसे कई शिक्षक वर्ग हैं जो या तो अपने भविष्य के प्रति आशंकित हैं या फिर आर्थिक आधार पर भी प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं।उन्होंने कहा कि कई एस एम सी शिक्षकों के खिलाफ तो नियमित शिक्षक आने पर विभाग ने उनकी सेवा मुक्ति के आदेश भी जारी कर दिये।फिर चाहे बाध्यता उच्च न्यायालय की हो या सर्वोच्च न्यायालय की।इनकी नियमितता में चाहे न्यायालय का निर्णय बाधक हो या अनिवार्य शिक्षा अधिनियम।हमारी सरकारें पहले ही सोच समझकर भर्ती व पदोन्नत्ति नियमों की समीक्षा क्यों नहीं कर लेती?
हिमाचल प्रदेश जैसे दुर्गम व पहाड़ी राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार के लिए मात्र पीठ थपथपाने से काम नहीं चलेगा।इसलिए हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ जिला सिरमौर सरकार व विभाग से कुछ अनिवार्य तथा तत्काल मांगों को पूरा करने का आग्रह करता है।
सातवें वेतन आयोग को शीघ्र अति शीघ्र प्रदेश में लागू किया जाए जिससे शिक्षक व गैर शैक्षणिक कर्मचारियों में व्याप्त निराशा तथा रोष समाप्त हो सके।इसके लिए यदि सरकार चाहे तो पंजाब वेतन आयोग पर निर्भर रहने की बजाय या तो प्रदेश का अपना वेतन आयोग गठित करे या केन्द्रीय वेतन आयोग का अनुसरण कर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करें तथा छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को भी दूर करे।साथ में शिक्षक भर्ती एवम् पदोन्नत्ति नियम प्राथमिक स्तर से लेकर उच्चत्तर स्तर तक एक समान हो तथा अस्थायी भर्तियां बिल्कुल बन्द की जाएं ताकि भविष्य में फिर किसी सरकार या शिक्षक को न्यायालय की शरण न लेनी पड़े।इसके लिए पहले से विद्यालयों में सेवाएं दे रहे सभी शिक्षक वर्गों को नियमित किया जाए या उनके लिए किसी ठोस नीति का निर्माण किया जाए।
प्रदेश में भविष्य में की जाने वाली भर्तियों के पद विज्ञापित करने से पहले ही इस बात पर विचार किया जाए कि इससे हिमाचल व शिक्षा के हित की अनदेखी न हो ताकि सरकार को बार बार अपने निर्णयों की समीक्षा न करनी पड़े।पदोन्नत्ति के बाद अगले वेतन ग्रेड के लिए विभाग द्वारा लगाई गई दो वर्ष की सेवा शर्त को अविलम्ब हटा दिया जाए क्योंकि समान वर्ग में अन्वीक्षा अवधि का नियम लागू नहीं हो सकता।विभाग द्वारा जो वित्तीय बोझ को कम करने का जो अनर्गल तर्क दिया जाता है वह सही नहीं क्योंकि यदि यह तर्क सही होता तो माननीयों के वेतन भत्तों में वृद्धि करने से पूर्व भी इस पर विचार अवश्य करना चाहिए।
विद्यालयों खासकर दुर्गम क्षेत्रों में खाली पड़े शिक्षक व गैर शिक्षक कर्मचारियों के पद यथाशीघ्र भरे जाएं तथा दुर्गम एवम् जनजातीय क्षेत्रों के लिए शिक्षक छात्र अनुपात को 1:20 किया जाए।इससे दुर्गम व जनजातीय क्षेत्रों के विद्यार्थियों को उचित तथा गुणवत्तापूरक शिक्षा मिल सकेगी।दुर्गम व जनजातीय क्षेत्रों के लिए भर्ती के समय ही एक अलग से शिक्षक कैडर बना दिया जाए और ऐसे शिक्षकों के लिए वेतन व भत्तों में भी अलग से प्रोत्साहन दिया जाए ताकि इन क्षेत्रों में भी शिक्षक निश्चित रूप से स्वेच्छा के साथ अपनी सेवाएं दे सके।
विद्यालयों में जलवाहकों के खाली पड़े पदों पर बहुद्देशीय कर्मचारियों अथवा मल्टी टास्क वर्कर की भर्ती की जाए। हर खण्ड केन्द्र पर एक अटल आदर्श आवासीय विद्यालय गुरूकुल की तर्ज पर स्थापित किया जाए जहां पर प्राचीन से लेकर हर नवीन पद्दत्ति से शिक्षा दी जाए और हर संकाय का स्टाफ व प्रयोगशाला उपलब्ध हो जिससे ग्रामीण व गरीब परिवारों के विद्यार्थियों को भी व्यवसाय तथा जीविकोपार्जन सहित बेहतर जीवन की शिक्षा मिल सके।इससे सरकार व हम सबका हिमाचल को शिखर की ओर ले जाने का स्वप्न पूरा हो सकेगा।
नई पेंशन योजना की जगह पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए। विभाग में करूणामूलक आधार पर दी जाने वाली नौकरियों के लम्बित मामले यथाशीघ्र निपटाए जाएं ताकि आजीवन विभाग में सेवाएं देने वाले कर्मचरियों के आश्रितों को भी जीविकोपार्जन के अवसर मिल सकें।
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