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November 22, 2024

गिरिपार में आज से बूढ़ी दीवाली की शुरू/मूड़ा व शकुली,चुउढो, मुख्य व्यंजक।

News portals-सबकी खबर

जिला सिरमौर के गिरीपार क्षेत्र के  हाटी समुदायों के लोग बूढ़ी दिवाली एवज से शुरू हो गई है । एक सप्ताह तक चलने वाली बूढ़ी दिवाली में गृहणियां इस पर्व पर परोसे  जाने वाले मुख्य व्यंजन मूड़ा व शकुली,चुउढो, आदि एक दूसरे को बांटते हैं।

जानकारी के मुताबित गिरिपार क्षेत्र के करीब तीन लाख  से अधिक हाटी समुदाय के लोगों अब 27नवंबर को बूढ़ी दिवाली मनाई जा रही है। बूढ़ी दिवाली का यह त्यौहार सिरमौर जिले के घनद्वार क्षेत्र मस्त भोज,, जेल भोज, आज भोज,कमरू ,शिल्ला, शिलाई ,रोहनाट ,संघड़ा , क्षेत्र के अलावा उत्तराखंड के जौनसार-बावर में भी मनाया जाता है। बूढ़ी दीवाली के इस त्यौहार को परंपरागत तरीके से मनाने के लिए क्षेत्र के ग्रामीण 10 दिन पहले से ही तैयारी में जुट जाते हैं। बूढ़ी दिवाली को लेकर हाटी समुदाय के लोग अपने घरों लिपाई पुताई ओर पशुओं के लिए खास चारा की व्यस्तता कर अब एक सप्ताह तक बूढ़ी दिवाली मनाएंगे।

बूढ़ी दिवाली का परम्परि व्यंजन मूड़ा है जो गेहूं को उबाल कर सूखने के बाद कढ़ाई में  रेत में भुन कर तैयार किया जाता है। इस व्यंजन के साथ अखरोट की गिरी, खिले बताशे, व मुरमुरे आदि मिलाए जाते हैं ।वही बूढ़ी दिवाली शुरू होते ही लोग सुबह उठकर अंधेरे में लोग लकड़ी की मसाले जलाकर एक जगह में स्थित होकर जलाई गई ,उसके बाद अंधेरे में ही माला नृत्य गीत और संगीत का कार्यक्रम शुरू हो जाता है । यह बूढ़ी दिवाली का त्यौहार पांच दिनों तक मनाया जाता है यह पाँच दिन “छोटी अमावस , मंगलवार को बड़ी वास,ओर आज भिउरी,कल जोन्दोई,परसो उषदयी,पर लोक नृत्य व वीर गाथाएं गा कर लोग वापस अपने घर को आ जाते है। इसके बाद आज दिन में भिउरी के नाम से भी दिवाली मनाई जाती है,इस दिनभर गीत संगीत  का कार्यक्रम होता है, एक दूसरे से मिलकर दिवाली की बधाई दी जाती है। पूरी दिवाली के संबंध में शिल्ला क्षेत्र के बुजुर्ग गुलाब सिंह,कवर सिंह ,लाल कल्याण सिंह बजीर,रति राम, कमरू के अतर ठाकुर पंडी, प्रवेश शर्मा,लायक  राम तोमर,खजान सिंह , खातर सिंह,शिलॉई से रमेश दसई बाजू राणा ,मेश पूर्व  प्रधान,खड़का से जीत राम शर्मा, मनी राम शर्मा,दिनेश शर्मा,  बताते हैं कि दीपावली के समय किसानों को अपनी फसल को पशुओं का चारा इकठा करना होता है इसलिए 1 महीने तक सारा काम निपटने के बाद आराम से अब बूढ़ी दिवाली का आनंद उठाएंगे ।हालांकि अब कुछ क्षेत्र में लोग शहरी संस्कृति के चलते दिवाली भी मना रहे है।

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