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हिमाचल प्रदेश की पहली रोबोटिक सर्जरी आईजीएमसी में सफल हो गई है। इस सर्जरी से अब मोटोपे से लड़ना और आसान होगा। आईजीएमसी में शनिवार को प्रदेश की पहली बेरियाट्रिक रोबोटिक सर्जरी की गई है। जानकारी के मुताबिक दिल्ली और आईजीएमसी के डाक्टरों की टीम ने शनिवार को लाइव डेमांस्ट्रेशन के साथ यह सफलता हासिल की है। इस दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने डाक्टरों को बधाई देते हुए कहा कि यह डाक्टरों की मेहनत और एडवांस टेक्नोलॉजी का कमाल है, जिस कारण चीरा दिए बिना इतनी बड़ी सर्जरी को अंजाम दिया गया।
आज मेडिकल साइंस ने एक नया रूप ले लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि रोबोट द्वारा की गई सर्जरी वास्तव में एक वैज्ञानिक चमत्कार है और यह प्रसन्नता की बात है कि आईजीएमसी भी इस तरह के चिकित्सीय कार्य का हिस्सा बना है। प्रदेश सरकार यह मशीन आईजीएमसी में उपलब्ध करवाने पर विचार करेगी। जयराम ठाकुर ने कहा कि हमारी भोजन संबंधी आदतों के कारण हिमाचल में भी मोटापा एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभर रहा है।
उन्होंने कहा कि ‘दि विंसी’ तकनीक से सर्जन दोनों स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी और रॉक्स-एन-वाई गैस्ट्रिक बाईपास सर्जरी रोबोट की सहायता से छोटे उपकरणों का प्रयोग करके मरीजों की शल्य चिकित्सा कर सकते हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कार्यशाला की स्मारिका का विमोचन भी किया। कार्यक्रम के दौरान आईजीएमसी रेज़िडेंट डाक्टर एसोसिएशन ने प्रदेश सीएम को ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें स्टाइफंड बढ़ाने की मांग मुख्यमंत्री के समक्ष पेश की गई।
24 करोड़ की मशीन दिलवाएं
चिकित्सा शिक्षा के निदेशक डा. रवि शर्मा ने मुख्यमंत्री से मरीजों की सुविधा के लिए आईजीएमसी में 24 करोड़ रुपए की यह मशीन उपलब्ध करवाने का आग्रह किया। कार्यशाला के आयोजक डा. डीके वर्मा ने इस तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी। संगठन सचिव प्रो यूके चंदेल ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। डा. राजीव बिंदल के पुत्र डा. विवेक बिंदल ने इस अवसर पर शल्य चिकित्सा की। मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी डा. साधना ठाकुर, आईजीएमसी के प्रधानाचार्य डा. मुकुंद लाल, वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डा. जनक राज और अन्य विभागाध्यक्ष इस अवसर पर उपस्थित थे।
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