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सरकारी स्कूलों में मंगलवार को पोर्टमोर स्कूल में सरकारी विभाग के एक कार्यक्रम में पहुंचे शिक्षा मंत्री ने स्कूल की ओर से सम्मानित करने से पहले ही हाथ से इशारा करते हुए कहा कि मुझे नहीं चाहिए। शॉल, टॉपी, मफलर और स्मृति चिन्ह पर पूरी तरह से रोक लग गई है। अब सरकारी स्कूलों के कार्यक्रम में किसी भी मुख्यातिथि को शॉल, टॉपी देकर सम्मानित नहीं किया जा सकता। शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने इस बारे में आदेश हाल ही में जारी किए थे। दरअसल हाल ही में शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने प्रदेश के स्कूलों में टोपी और शॉल की परंपरा को बंद करने के निर्देश दिए हैं। मशोबरा स्थित एक स्कूल के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कुछ दिनों पहले कहा था कि विभिन्न स्कूलों में कार्यक्रमों के दौरान मुख्यातिथि को शॉल-टोपी भंेट न करने के आदेशों का स्कूल प्रबंधन व शिक्षक समुदाय सख्ती से पालन करें।
उन्होंने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मशोबरा में रोटरी क्लब और शिक्षा विभाग द्वारा करवाए जा रहे निर्माण व अन्य कार्यों का निरीक्षण करने के उपरांत अपने संबोधन में यह बात कही थी। उन्होंने कहा कि विद्यालय प्रबंधन इस उपयोग में लाए गए पैसों का स्कूल के विभिन्न कल्याण कार्यों में प्रयोग करें, ताकि स्कूल व विद्यार्थियों को इसका लाभ मिल सके। उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इन आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न स्वैच्छिक व स्वयंसेवी संस्थाएं अपना सहयोग प्रदान कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के सहयोग से परोक्ष रूप से विद्यार्थियों को शिक्षा प्राप्त करने में सहायता व प्रोत्साहन मिलता है। वहीं, अगर स्कूल में मुख्यातिथि को सम्मानित करने की परंपरा को खत्म किया जाए तो इससे हजारांें का बजट एक कार्यक्रम से ही बच जाएगा।
ऐसे में बचे हुए बजट को छात्रों की पढ़ाई में इस्तेमाल करना आसान हो जाएगा। गौर हो कि मंगलवार को पोर्टमोर स्कूल में शिक्षा मंत्री ने स्कूल की ओर से सम्मानित न करने के निर्णय को सिरे से चढ़ा दिया है। अब आगे भी इस निर्णय का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। बता दें कि शिक्षा मंत्री ने साफ किया है कि स्कूल प्रबंधन अगर मंत्रियों को मुख्यातिथि के तौर पर स्कूलों में बुलाते हैं तो ऐसे में उनके स्वागत के लिए फिजूल खर्च करने वाले स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई अमल मंे लाई जाएगी। बता दें कि अकसर सरकारी स्कूल प्रबंधन मंत्री व विभागों के अधिकारियों को खुश करने के लिए उन्हें शॉल टॉपी, मफलर व अन्य चीजें भेंट करते हैं।
वहीं, छात्रों के लिए आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम मात्र बड़े-बड़े अधिकारियों का ही बनकर रह जाता है। अब आगे ऐसा न हो, इसको लेकर ही सरकार ने शिक्षण संस्थानों से ऐसी परंपरा को समाप्त करने पर ही फोकस कर लिया है। बता दें कि सरकारी स्कूलों में होने वाले कार्यक्रमों में अब केवल छात्रों की प्रतिभा को निखारने पर ही फोकस किया जाएगा। इसके अलावा मुख्यातिथि को दिए जाने वाले सामान की जगह छात्रों के मनोबल को बढ़ाने के लिए उन्हें किताबें, कॉपी, पेंसिल दी जाएंगी। फिलहाल शिक्षा मंत्री ने शिमला के पोर्टमोर स्कूल से यह शुरूआत कर दी है। अब देखना होगा कि आगे भी सरकारी स्कूलों में यह परपंरा कायम रह पाती है, या नहीं।
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