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विकास खण्ड शिलाई के अंतर्गत आने वाली पंचायत लोजा मानल में बीपीएल परिवारों की पात्रता को लेकर सवाल उठते हैं। धरातल पर अमीरों ने गरीबों के हक पर डाका डाला हुआ है। लाख कोशिशों के बावजूद भी सरकार कोई सुधार नहीं कर पाई है। लोजा मानल पंचायत में अगर एक शिकायत पर विश्वास किया जाए तो मामला चौंकाने वाला होगा। बता दे कि इस पंचायत के घोला कुजनल गांव के माझू राम पुत्र प्रेम सिंह को अंतिम सांस से पहले सरकारी योजना के तहत घर नहीं मिला।
क्षेत्र के जागरूक लोग उम्मीद कर रहे थे कि उसके मानसिक रूप से विकलांग भाई को ही सरकारी योजना का लाभ मिल जाएगा, लेकिन धरातल की सच्चाई यह है कि माझू राम का भाई एक ऐसे घर में रह रहा है, जो शिखर पर हिमाचल के दांवों पर धत्ता है। आरोप यह है कि परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर के निर्माण के लिए 1 लाख 30 हजार रुपए की राशि मंजूर हुई थी, लेकिन पंचायत स्तर पर इसे हड़प लिया गया। हालांकि असल बात तो जांच के बाद ही सामने आएगी, लेकिन यह सच्चाई है कि 1982 में इन्दिरा आवास योजना के तहत जीते जी परिवार को घर मिला था, लेकिन इसकी हालत अब रहने लायक नहीं है।
ऐसी संभावना है कि माझू राम का बीमार भाई भी एक अदद घर में रहने की इच्छा पूरी न कर पाए। घर की हालत ऐसी है कि तस्वीरें खुद बयां कर रही हैं। इन तस्वीरों में साफ नजर आ रहा है कि माझू राम के भाई के पास घर में ताला लगाने के लिए भी जुगाड़ करना पड़ रहा है। दोनों तरफ से डंडे को फंसाकर रस्सी से बांधा जाता है।
उधर शिलाई के विकास खंड अधिकारी कंवर सिंह ने शिकायत मिलने की पुष्टि करते हुए कहा कि तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। एक सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अगर पात्रता सही पाई गई तो दूसरी प्राथमिकता गरीब परिवार को घर दिलवाने की भी रहेगी। उन्होंने कहा कि अगर आरोप सही साबित होते हैं तो लाजमी तौर पर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। गौरतलब है कि लोजा मानल पंचायत में विकास कार्यों में कथित भ्रष्टाचार को लेकर पहले भी कई शिकायतें हुई हैं।
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