News portals-सबकी खबर (नई दिल्ली )
भारत अब दुनिया के कई देशों के कबाड़ हो चुके युद्धपोतों और अन्य जहाजों की मदद से अपना खजाना भरेगा। क्योंकि मोदी सरकार ने इसके लिए नया कानून (पोत पुनर्चक्रण अधिनियम, 2019) बनाया है, जिसके आने के बाद भारत की जीडीपी बढ़ाने में युद्धपोत और अन्य जहाजों का महत्त्वपूर्ण योगदान होगा।
सरकार वैश्विक पोत पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग) कारोबार में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इससे देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसकी हिस्सेदारी बढ़कर 22 अरब डालर पर पहुंच जाएगी, जो मौजूदा स्तर से दोगुना होगी। केंद्रीय पोत परिवहन मंत्री स्वतंत्र प्रभार मनसुख लाल मंडाविया ने कहा कि भारत युद्धपोत और अन्य जहाजों के लिए प्रमुख रिसाइक्लिंग गंतव्य के रूप में उभर सकता है। मंडाविया ने उम्मीद जताई कि पोत रिसाइक्लिंग गतिविधियों की देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में हिस्सेदारी बढ़कर 2.2 अरब डालर पर पहुंच जाएगी, जो मौजूदा स्तर से दोगुना होगी। मंडाविया ने कहा कि गुजरात का अलांग दुनिया का सबसे बड़ा शिपयार्ड है।
यह देश में जहाजों की रिसाइक्लिंग की बढ़ती संख्या को पूरा करने के लिए तैयार है। अभी भारत वैश्विक स्तर पर दुनिया में वार्षिक आधार पर नष्ट किए जाने वाले 1,000 जहाजों में से 300 को रिसाइकिल करता है। इस बारे में वैश्विक संधि का अनुमोदन नहीं किए जाने की वजह से जापान, यूरोप और अमरीका जैसे अभी अपने जहाजों को रिसाइक्लिंग के लिए भारत नहीं भेजते हैं।
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