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बुधवार को हिमाचल विधानसभा में कोरोना वायरस का मुद्दा खूब गरमाया और इस पर विपक्ष ने दो बार वाकआउट कर दिया। पहली बार वाकआउट इस पर चर्चा के मुद्दे पर हुआ तो दूसरी बार विपक्ष मुख्यमंत्री के उत्तर से नाराज होकर सदन से बाहर आ गया। सदन में प्रश्नकाल आरंभ होने से ठीक पहले नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने नियम-67 के तहत काम रोको प्रस्ताव का नोटिस दिया। उन्होंने यह प्रस्ताव कोरोना वायरस के कहर से निपटने की तैयारियों को लेकर दिया था। इसी बीच, विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने नेता प्रतिपक्ष के इस नियम का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री को कोरोना वायरस पर वक्तव्य देने के लिए अधिकृत कर दिया। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा दी गई इस व्यवस्था से विपक्ष पूरी तरह उखड़ गया। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि यह पहली बार हो रहा है कि नियम-67 के तहत दिए गए नोटिस देने वाले को सुने बिना सरकार का वक्तव्य आ रहा है। विपक्ष के विरोध के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को वक्तव्य जारी रखने की व्यवस्था दे दी। इससे नाराज होकर विपक्ष नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चला गया।
विपक्ष ने दूसरी बार मुख्यमंत्री के उत्तर से नाराज होकर वाकआउट किया। राज्यपाल के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा का मुख्यमंत्री ने दोपहर बाद सदन में उत्तर दिया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने जनमंच, गृहिणी, सहारा, मुख्यमंत्री हेल्पलाइन और हिमकेयर योजनाओं की जमकर सराहना करते हुए इसे प्रदेश की जनता के लिए समर्पित किया। मुख्यमंत्री अपनी सरकार की उपलब्धियों को सदन में गिना रहे थे, इसी बीच नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री उन प्रोजेक्टों का हवाला भी दें, जिन्हें केंद्र से लाने पर सत्तापक्ष अपनी पीठ थपथपा रही थी। इस मुद्दे पर दोनों पक्षों में दोबारा गहमागहमी हो गई और विपक्ष ने नाराजगी जताते हुए फिर वाकआउट कर दिया। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री का कहना था कि मुख्यमंत्री ने पर्यटन के प्रोजेक्टों पर कोई जवाब नहीं दिया है। प्रदेश के 69 नेशनल हाईवेज पर सरकार खामोश है। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के कई प्रोजेक्ट लटक गए हैं। बागबानी प्रोजेक्ट को लेकर सरकार स्थिति स्पष्ट नहीं कर रही है। विपक्ष को उम्मीद थी कि सरकार फोरन फंडिंग पर अपनी स्थिति स्पष्ट करेगी। पिछले दो सालों से जिन प्रोजेक्टों को हासिल करने के दावे किए जा रहे थे, उस पर मुख्यमंत्री को बताना चाहिए था कि अभी तक कितना पैसा मिला है। यह कहते हुए विपक्ष ने सदन से दूसरी बार वाकआउट कर दिया। हालांकि इससे पहले भी विपक्ष के विधायकों ने वेल में आकर सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। भोजनावकाश के बाद शुरू हुई इस चर्चा में किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी ने राज्य सरकार को धारा-370 और सीएए के मुद्दों पर घेरा। जगत सिंह नेगी धारा-370 के दुष्परिणामों को बताते हुए जम्मू-कश्मीर के इतिहास को सदन में साझा कर रहे थे।
इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री ने बीच में जगत सिंह नेगी का कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें जम्मू-कश्मीर का इतिहास ही पता नहीं है। इस कारण जगत सिंह नेगी तय करें कि वे पाकिस्तान के साथ हैं या भारत के साथ? इस पर जगत सिंह नेगी बुरी तरह से नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि संसदीय कार्य मंत्री मुझे देशद्रोही बता रहे हैं। इस नाराजगी पर कांग्रेस विधायक बेल में आकर संसदीय कार्य मंत्री के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। कुछ समय तक माहौल पूरी तरह तनावपूर्ण रहा। एक समय तेजवंत नेगी तथा भटियात के विधायक बिक्रम जरयाल की आपस में हाथापाई तक नौबत आ गई। कुछ देर बाद मामला शांत हुआ और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राज्यपाल के अभिभाषण पर जवाब देना शुरू कर दिया।
विधानसभा में हाथापाई की नौबत
शिमला। राज्यपाल के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा के दौरान बुधवार को विधानसभा में हाथापाई तक की नौबत आ गई। एक समय किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी व भटियात के विधायक बिक्रम जरयाल आमने-सामने आ गए। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज की टिप्पणी से पर दोनों के बीच नोक-झोंक इतनी बढ़ गई कि दोनों एक-दूसरे की ओर हाथापाई तक बढ़ने लगे। सत्तापक्ष के विधायकों ने बिक्रम जरयाल को शांत करवाया तथा नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री जगत सिंह नेगी को वापस सीट की तरफ ले आए।
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