News portals-सबकी खबर (पांवटा साहिब )
गुरु की नगरी पांवटा साहिब में ऐतिहासिक होला मोहल्ला शुरू हो गया है। लगभग 10 दिन तक चलने वाले होला मोहल्ला पर्व की शुरुआत कल रविवार को भव्य नगवर कीर्तन के साथ हुई। दरअसल दशमपिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब से होला मोहल्ला की शुरुआत कर 5 साल तक पांवटा साहिब में यह पर्व मनाया था। श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने लगभग साढे 4 साल तक पांवटा साहिब में निवास किया था।
पांवटा साहिब में पारंपरिक वेशभूषा में सजे खालसा युद्ध कला का प्रदर्शन करते यह सिख युवक साडे 3 सौ साल पुरानी परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। दरअसल दशम पातशाही श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने इस युद्ध कला के प्रदर्शन को पर्व के रूप में मनाने की शुरुआत पांवटा साहिब की धरती से की थी। रविवार को भी स्थानीय सिख संगठनों ने होला मोहल्ला की शुरुआत भव्य नगर कीर्तन से की। नगर कीर्तन का मुख्य आकर्षण गतका पार्टियों का युद्ध कला प्रदर्शन रहता है। श्री गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा शुरू की इस परंपरा के निर्वहन में बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी सम्मिलित रहे। दरअसल गतका हल्ला महल्ला युद्ध कला के प्रदेर्शन का ही दूसरा नाम है। हल्ला महल्ला युद्ध कला का ही नाम बाद में होला मोहल्ला पड़ा। होला महल्ला खालसा पंथ की युद्ध कला से जुड़ा है। बताते चलें कि श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने पावटा साहिब के भंगानी साहिब में अपने जीवन काल का पहला युद्ध लड़ा था और यही खालसा पंथ की स्थापना की थी। तब इस छापामार युद्ध कला को हल्ला महल्ला कहा जाता था। हल्ला महल्ला ही बाद में होला मोहल्ला नाम से प्रचलित हुआ।
सरदार कुलवंत सिंह, पूर्व प्रबंधक पावटा साहिब गुरुद्वारा ने बताया की उत्तर भारत में पांवटा साहिब का होला मोहल्ला भी श्रद्धालुओं के लिए उतना ही महत्व रखता है जितना आनंदपुर साहिब होला मोहल्ला। यही कारण है कि हिमाचल के अलावा अन्य राज्यों से भी यहां सिख श्रद्धालु नतमस्तक होने पहुंचते हैं।
उधर , गुरमीत सिंह, दिल्ली से आए श्रद्धालु ने पावटा साहिब में 336 वें होला मोहल्ला के अवसर पर इस बार भी पावटा साहिब गुरुद्वारे से भव्य नगर कीर्तन निकला। नगर कीर्तन मुख्य बाजार होता हुआ बद्रीपुर और बद्रीपुर से वापस पावटा साहिब गुरुद्वारे में समाप्त हुआ। श्री गुरु गोविंद सिंह जी की परंपरा की याद में गुरु की नगरी पांवटा साहिब में अगले 10 दिनों तक होला मोहल्ला की धूम रहेगीV। लगभग हर रोज विशेष कार्यक्रम आयोजित होंगे। जिसमें हिमाचल ही नहीं बल्कि पंजाब हरियाणा दिल्ली चंडीगढ़ उत्तराखंड सहित विदेशों से भी सिख श्रद्धालु पहुंचते हैं।
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