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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बुधवार को बताया कि केंद्र सरकार ने राज्य आपदा राहत कोष में आगामी वित्त वर्ष के लिए 454 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। यह राशि पिछले वर्ष से 158 प्रतिशत अधिक है। मुख्यमंत्री ने बुधवार को हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की छठी बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस धनराशि के अतिरिक्त केंद्र सरकार ने प्रदेश में भू-स्खलन और भूकंप के जोखिम को कम करने के लिए 50 करोड़ रुपए भी जारी किए हैं। प्रदेश में आपदा न्यूनीकरण के लिए इस वित्त वर्ष 140 करोड़ रुपए की धनराशि उपलब्ध है।
केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की एक बटालियन मंजूर की है। राज्य सरकार ने राज्य में किसी भी आपदा के मामले में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के अनुरूप हिमाचल प्रदेश राज्य आपदा बल के गठन को भी अधिसूचित किया है। उन्होंने कहा कि जब तक राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) एक अलग दल गठित नहीं करता, तब तक शिमला, मंडी, धर्मशाला के समीप के स्थलों पर प्रत्येक में एक कंपनी को तैनात किया जाएगा। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश को विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि भूकंप, भू-स्खलन, बाढ़ और जलवायु प्रेरित आदि खतरों को कम करना है।
इस परियोजना के अंतर्गत आपदा के खतरे के अलावा मानव जीवन और संपत्तियों की हानि को कम करना भी है। इस परियोजना को नीति आयोग द्वारा भी सहयोग दिया जा रहा है। जयराम ठाकुर ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण आठ राज्यों- असम, बिहार, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर के लिए राष्ट्रीय भूकंपीय जोखिम शमन कार्यक्रम की संकल्पना भी कर रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाने के अलावा भूकंप की स्थिति में प्रारंभिक चेतावनी प्रसार प्रणाली विकसित करना है।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने प्रदेश के 39 विभागों के लिए विभागीय आपदा प्रबंधन योजना को मंजूरी प्रदान की है। विभागों द्वारा इन योजनाओं को नियमित रूप से अपडेट किया जाएगा। प्रदेश सरकार को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष के अंतर्गत पर्याप्त धनराशि मिल रही है। प्रदेश को वर्ष 2018 में 312.76 करोड़ रुपए, वर्ष 2019 में शीत ऋतु में 64.49 करोड़ रुपए और इसके उपरांत इसी वर्ष 283.97 करोड़ रुपए मिले, जबकि वर्ष 2015 में प्रदेश को 81.22 करोड़, वर्ष 2016 में 63.23 करोड़ तथा 2017 में 84.13 करोड़ रुपए मिले थे।
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