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कोरोना वायरस फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन तोड़कर पड़ोसी राज्यों से घर आने वाले लोगों को प्रदेश की सीमाओं से ही क्वारंटाइन सेंटर में पहुंचाने के बाद यहां ठहरे लोग अव्यवस्थाओं को लेकर उग्र हो गए हैं। सोमवार को राजकीय मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल अंबोटा में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में रखे गए लोगों ने जमकर बवाल किया और प्रदेश सरकार व प्रशासन के विरुद्ध जबरदस्त नारेबाजी कर घर भेजने की मांग कर डाली। हालांकि हालात बिगड़ते देख एसडीएम विनय मोदी, एसएचओ हरनाम सिंह व खंड स्वास्थ्य अधिकारी डा. एसके वर्मा मौके पर पहुंचे और उग्र लोगों को समझा बुझाकर शांत किया। क्वारंटाइन सेंटर को हालांकि 200 बेड की क्षमता का तैयार किया गया था, लेकिन 220 लोगों को रखा गया था। क्षमता से ज्यादा लोगों के आ जाने से बनी अफरा-तफरी की व्यवस्था के बीच 34 लोगों को नारी गांव में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में शिफ्ट किया गया, लेकिन यहां ठहरे लोगों के लिए न तो नहाने की उचित व्यवस्था थी और न ही उन्हें जरूरत का सामान मुहैया करवाया गया था। एक रात ही क्वारंटाइन सेंटर में रुकने के बाद लोग बेचैन हो गए और उन्हें घर जाने देने की मांग करने लगे। उग्र लोगों में बढ़ता आक्रोश देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की टीम के भी पसीने छूट गए और वहां तैनात पुलिस जवानों ने तत्काल स्थिति से एसएचओ हरनाम सिंह को अवगत करवाया। इस पर एसएचओ हरनाम सिंह, एसडीएम विनय मोदी व खंड चिकित्सा अधिकारी मौके पर पहुंचे।
14 दिन यहां रहना ही पड़ेगा
उग्र्र लोगों का आरोप था कि न तो उन्हें साबुन उपलब्ध करवाया गया है और न ही उन्हें टूथपेस्ट व ब्रश दिए गए हैं। यहीं नहीं बल्कि नहाने की भी उचित व्यवस्था नहीं है। उनके साथ कैदियों से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है। क्वारंटाइन किए गए लोगों की मांग पर तत्काल साबुन मंगवाकर वितरित किया गया और उनके जरूरत की अन्य वस्तुओं का भी इंतजाम किया जा रहा है। प्रशासन की काफी मशक्कत के बाद उग्र लोग शांत हुए। एसडीएम विनय मोदी ने बताया कि यहां क्वारंटाइन किए गए 186 लोगों, जिनमें से 169 पुरुष, तेरह महिलाएं व चार बच्चे हैं, उन्हें चौदह दिन तक यहां रहना पड़ेगा। कोरोना वायरस जैसी महामारी रोकने के लिए यह कदम उठाना पूरे समाज के लिए बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि यहां ठहरे लोगों को जरूरत का सामान मुहैया करवाया जाएगा।
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