News portals-सबकी खबर (पांवटा साहिब )
लॉकडाउन और कर्फ्यू के बीच बिना अनुमति पत्र के सात लोग हिमाचल के सोलन से पांवटा साहिब पहुंच गए लेकिन, किसी ने उन्हें रास्ते में रोका नहीं। सिरमौर और सोलन जिले में जगह-जगह नाकेबंदी के बावजूद सात लोग अपने घोड़ों के साथ कैसे पांवटा साहिब तक पहुंच गए, इस पर सवाल उठ रहे हैं। पांवटा साहिब बैरियर से भी ये लोग आगे बढ़ गए। लेकिन, उत्तराखंड पर पुलिस ने अनुमति पत्र नहीं होने का हवाला देकर वापस हिमाचल भेज दिया। अब ये सभी लोग सिरमौर प्रशासन से अनुमति पत्र लेने की गुहार लगा रहे हैं।
प्रदेश में कर्फ्यू के बावजूद सोलन से बिना अनुमति के सात प्रवासी मजदूर अपने 21 घोड़ों के साथ पांवटा साहिब तक पहुंच गए। हैरानी इस बात की है कि गोविंदघाट बैरियर से भी अनुमति नहीं होने के बावजूद उन्हें उत्तराखंड के बहराल बैरियर की तरफ रवाना होने दिया गया। लेकिन, उत्तराखंड पुलिस ने इन्हें वापस भेज दिया। मंगलवार को दोपहर करीब 11 बजकर 56 मिनट पर एनएच-07 पर दर्जनों घोड़ों-खच्चरों के चलने की आवाज सुनी तो लोग हैरान रह गए। पैदल चल रहे सात कामगार व 21 घोड़े हिमाचल-उत्तराखंड बैरियर गोविंदघाट पर इनको रोका गया।
इनको अनुमति पत्र दिखाने को कहा गया। मजदूरों मोहम्मद साजिद, नौशाद, बासिद, अफजल, राकिब, शहबाज व शमशाद का कहना था कि किसी ने कोई अनुमति नहीं दी है। इनका कहना था कि पिछले जनवरी माह से हिमाचल में विभिन्न जगहों पर काम कर रहे हैं। ढाई माह से सोलन के निगम में लकड़ी ढ़ोने का काम कर रहे थे। पहले लॉकडाउन फिर कर्फ्यू लगने के बाद से सोलन में ही फंसे हुए थे। आसपास के लोग 21 घोड़े होने पर बाहर नहीं जाने देते, जिसके चलते चारा लाना व घोड़ों को पालना कठिन हो रहा था। मजबूरन रविवार को पैदल ही घोड़ों सहित सोलन से नजीबाबाद के लिए निकल पड़े। सोलन से उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद की दूरी लगभग 296 किमी है।
सोलन से पांवटा 128 किमी पांवटा साहिब तक दूरी तय कर ली। अब स्थानीय प्रशासन व पुलिस से मजदूर अनुमति देने की गुहार लगा रहे हैं, जिससे घोड़ों सहित पैदल चलकर 296 किमी दूर अपने घर यूपी के नजीबाबाद पहुंच सकें। डीएसपी पांवटा सोमदत्त ने कहा कि इस संदर्भ में फिलहाल उनके पास कोई जानकारी नहीं है। बिना अनुमति पत्र के उन्हें घोड़ों सहित नहीं आना चाहिए था। एसडीएम पांवटा साहिब लायक राम वर्मा ने बताया कि इस तरह की सूचना मिली है। सोलन जिला प्रशासन से अनुमति पत्र लेकर मजदूरों को घोड़ों सहित रवाना होना चाहिए था। इस बारे में जिलाधीश सिरमौर डॉ. आरके परुथी से इस संदर्भ में बातचीत की जाएगी।
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