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November 25, 2024

गिरिपार के हाटी समुदाय के लोगों को जनगणना के दौरान अपनी उपजाति की जानकारी देना भी आवश्यक

News portals-सबकी खबर (कफोटा )

जिअल सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के लोगो को जून माह से आरंभ होने वाली जनगणना के समय गिरिपार के हाटी समुदाय के लोगों को जनगणना के दौरान अपनी उपजाति व लुप्त हो रही अपनी मूल भाषा पहाड़ी सिरमौरी दर्ज करवाना अनिवार्य होगा। यह बात केंद्रीय हाटी समिति गिरिपार के अध्यक्ष डा. अमीचंद और महासचिव कुंदन सिंह शास्त्री ने कही। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के चलते जून माह के लिए स्थगित हुई भारतीय जनगणना में गिरिपार के हाटी काबिल के लीगों को विशेष ध्यान रख अपनी जाति और मूल भाषा दर्ज करवानी होगी।

उन्होंने कहा कि आज भी राजस्व रिकॉर्ड के शजरा नसब, मिस्लहकीयत में कई उपजाति दर्ज नही है, जिसकी वजह से यहां कई जातियों के लोग आज भी परेशानी झेलते है। यहां खोश, मिंया, भाट, देवा, डेटी, पाबूच, भरीड़, बाड़ोए, बाड़े, लोहार, ढाके, नोटुआ, तूरी, कोली, चनाल, झियोंर, बरड़ा, डूम, चमार आदि उपजातियां के लोग सदियों से रहते हैं और पहाड़ी सिरमौरी लदीयानी भाषा बोलाण बोलते है। इनमें से  कुछ जातियों के नाम व मूल भाषा जनगणना या रेवेन्यू रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है। इस बार जनगणना के रिकॉर्ड में  गिरिपार क्षेत्र की ये सभी उपजातियां अपने मूल नाम सहित दर्ज हों सके इसके लिए समिति एक कारगर योजना बना रही  है।

इसके अतिरिक्त हमारे गिरिपार क्षेत्र की मूल पहाड़ी बोली जिसे यूनेस्को ने भी लुप्त होने के कगार वाली सूची में शामिल किया है को भी बचना होगा। अपनी इस प्राचीन मूल भाषा गिरिपार क्षेत्र की पहाड़ी बोली या हाटी बोलावण के रूप में दर्ज करने पर भी बल देना होगा, ताकि गिरीपार की मूल बोलाण और उपजातियों का मूल अस्तित्व बना रहे। इसे दर्ज करवाना अनिवार्य है, समिति का कहना है कि इन दोनों मुद्दों पर गांव पंचायत तक आम जनता को जागरूक करने के लिए अपनी इकाइयों में अभी से एक्शन प्लान तैयार करने पर चर्चा कर हाटी समिति के ग्रुप में अपने सुझाव भेजे।

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