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कुछ प्रवासियों ने 2,500 रुपए किराया जेब में न होने की भी बात कही
केंद्र व हिमाचल सरकार बेशक National Lock-Down में फंसे प्रवासी मजदूरों व मजलूमों की बड़ी भारी सहायता के दावे कर रही हों, मगर कईं मामलों में Ground reality इसके विपरित देखने को मिल रही है। प्रशासन द्वारा मंगलवार को संगड़ाह से दो Private Buses में रवाना किए गए 56 मजदूर बुधवार सायं 24 घंटे बाद तक यहां से 25 किलोमीटर दूर रेणुकाजी में रोके गए। Administration के मुताबिक वैधानिक अथवा J&K प्रशासन से अनुमति संबंधी अड़चनों के चलते इन्हें कुब्जा सरांय रेणुकाजी में ठहराया गया था। उपमंडल के गांव रजाना से जहां I & Ph Dipartment के ठेकेदार के पास काम करने वाले मजदूरों की एक निजी बस मंगलवार बाद दोपहर रवाना की गई, वहीं चाढ़ना से ONGC मजदूरों की दूसरी बस शाम के समय निकाली।
प्रशासन के मुताबिक जम्मू कश्मीर सरकार अथवा प्रशासन द्वारा बॉर्डर पर अचानक भीड़ जमा होने का हवाला देकर उक्त मजदूरों को आगामी आदेशों तक रोकने को कहा गया था। कुछ मजदूरों के अनुसार उनके पास मंगलवार को प्रति व्यक्ति के हिसाब से 2,500 रूपए किराया देने को नहीं थे तथा बड़ी मशक्कत के बाद बुधवार को उक्त राशि जुटाने के बाद बसें रेणुकाजी से चली। जम्मू-कश्मीर के मजदूरों की मानें तो पहले उन्हें मुफ्त घर छोड़ने की बात हुई थी तथा उक्त रुट पर बस किराया मात्र 750 रुपए के करीब लगता है। निजी बस मालिक बलदेव के अनुसार किराया आरटीओ ने तय किया है।
RTO नाहन सौना चौहान के अनुसार प्रशासन द्वारा लॉक डाउन के लिए निर्धारित दरों के हिसाब से मजदूरों से लखनपुर जम्मू Border तक का दोनों तरफ का व खाली Seat का किराया लिया गया। उन्होंने कहा कि, छूट दिए जाने के बाद संगड़ाह से 2500 प्रति व्यक्ति किराया बनता है। SDM संगड़ाह राहुल कुमार के अनुसार District Magistrate सिरमौर के आदेशों तथा निर्धारित नियमों के अनुसार उन्हें भेजने की व्यवस्था की गई।
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