News portals-सबकी खबर (पालमपुर )
केंद्रीय मंत्री के तौर पर काम करते हुए शांता कुमार को भी रिश्वत देने का प्रयास किया गया था। इसका खुलासा स्वयं शांता कुमार ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर किया है। शांता कुमार लिखते हैं कि खाद्य मंत्री बने दस दिन हुए थे। एक दिन प्रातःकाल बड़ी कंपनी के मालिक मिलने के लिए आए और कहने लगे कि वह कई दिन से परेशान हैं। चीनी वितरण आदेश नहीं हुआ था, आप ने कर दिया – बहुत-बहुत धन्यवाद। यह है आपका ….. (उन्होंने नोटों का एक बड़ा बड्डडल उनकी तरफ बढ़ाया) और कहा कि उनकी पांच चीनी मिले हैं। हर बार यहां से आदेश होने के बाद प्रति बोरी वह यह देते ही हैं। इस पर शांता कुमार ने कहा कि आप यह उठाइये और यहां से चले जाइए। मैं आपसे कोई भी बात नहीं करना चाहता। पुलिस नहीं बुला रहा हूं, यह सोचकर कि शायद आपको मेरे बारे में पूरा पता नहीं होगा। इसके बाद घबराए हुए वह चले गए।
इसके बाद शांता कुमार कार्यालय गए, अधिकारी बुलाए और पूरी जानकारी ली। उस समय देश में चीनी की लगभग 500 मिलें थीं। प्रत्येक मिल में चीनी बनाकर गोदाम में रखी जाती थी और ताला लग जाता था। कितनी चीनी सरकार के राशन के लिए देनी है और कितनी बाजार में बेचनी है, यह आदेश खाद्य विभाग जारी करता था। इस आदेश में थोड़ा विलंब होने से प्रबंधक परेशान हो जाते थे। सभी अधिक से अधिक चीनी बाजार में बेचना चाहते थे। इसी में बहुत अधिक भ्रश्टाचार होता था। प्रति बोरी की दर तय थी और वह नियमित मंत्री के पास आती थी, नीचे भी हिस्सा जाता था। इसी विभाग में प्रदेश के एक मंत्री फंसे थे और बाद में उनको सजा भी हुई थी। एक सप्ताह बाद सभी ने मिलकर बढि़या नियम बनाया। महीने में कितनी चीनी बाजार में और सरकार को राशन में दी जानी है और सभी मिलों के गोदाम में कितनी-कितनी चीनी है, सब का हिसाब करके तर्कसगंत बराबर सूची जारी की जाए। इस नियम से किसी मिल के साथ अन्याय नहीं होगा।
सोशल मीडिया पर कविता के साथ कहा बाय-बाय
तुम्हारे होंठ भी थे बंद और मैं भी चुप था
फिर वह क्या था, जो इतनी देर बोलता रहा
मैं भी इतने दिन आपसे मिलता रहा और हम परस्पर बोलते भी रहे।
देखिएं कुछ यूं निकल रहा हैं मेरे भीतर से
तुम बैठे थे उस छोर
मै बैठा था इस छोर
दूर दूर बहुत दूर, फिर वह क्या था
जो इतने दिन मिलता भी रहा
और बोलता भी रहा।
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