News portals-सबकी खबर (नई दिल्ली)
देश में 63 फीसदी कोरोना मौतें बुजुर्गों की हुई हैं। यूरोप में यह प्रतिशत और भी ज्यादा है। इसलिए सोचा जाने लगा कि यह बीमारी बुजुर्ग लोगों की है, लेकिन आईसीएमआर के ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश के युवाओं में यह बीमारी पैठ बना रही है। नौजवानों के इस बीमारी से संक्रमित होने की दर (अटैक रेट) अच्छी-खासी है। आईसीएमआर ने देशभर में दस लाख टेस्ट के आधार पर यह नतीजा निकाला है। उसके मुताबिक 22 जनवरी से 30 अप्रैल के बीच कुल 1,02,15,618 कोरोना टेस्ट किए गए। इनमें से 33,610 नमूने पॉजिटिव निकले थे। नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे ने इन टेस्ट के आधार पर उम्र के हिसाब से कोरोना से संक्रमित होने की दर निकाली है। जो बताती है कि देश में युवा आबादी में भी संक्रमण अच्छा खासा हुआ है। युवाओं और बुजुर्गों में कोरोना संक्रमण की दर में ज्यादा फर्क नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार 20-29 साल की उम्र में प्रति दस लाख पर कोरोना संक्रमण दर 40.5 दर्ज की गई है, जबकि 30-39 साल के वर्ग में 48.6 तथा 40-49 साल के वर्ग में 50.1 तथा 50-59 में सबसे ज्यादा 64.9 रिकार्ड किया गया।
बुजुर्गों-बच्चों में महामारी दर अपेक्षाकृत कम
60 साल से अधिक उम्र के लोगों को दुनियाभर में इस बीमारी के लिहाज से सर्वाधिक संवेदनशील माना गया था, लेकिन भारत के आंकड़े कुछ अलग ही संकेत देते हैं। 60-69 की उम्र वर्ग में कोरोना संक्रमण की दर अपेक्षाकृत कम 61.8, 70-79 में 53.2 तथा 80 से अधिक उम्र के वर्ग में 40.9 पाया गया। यदि 20 साल से कम उम्र में कोरोना का अटैक रेट देखें तो 10-19 साल वालों में यह 12.9 तथा 10 साल से कम उम्र के बच्चों में 6.1 पाया गया।
नौजवानों में बीमारी दर पर आश्चर्य नहीं
वर्धमान महावीर मेडिकल कालेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के निदेशक डा. जुगल किशोर का इस शोध पर कहना है कि युवा आबादी सर्वाधिक सक्रिय है। संक्रमण दर बताती है कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कितना संक्रमण हो रहा है। युवा आबादी में अच्छी-खासी संक्रमण दर होने में कोई आश्चर्य नहीं है। अलबत्ता, मृत्यु का खतरा ज्यादा उम्र के लोगों को ही हमेशा ज्यादा होगा।
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