782 बीघा में मौजूद खदानों से बिना वेट किए निकल रहे ट्रक
News portals-सबकी खबर (संगड़ाह)
सिरमौर जिला के उपमंडल संगड़ाह में बिना खनन पड़ताल चौंकी व वेट ब्रिज के करीब 782 बीघा भूमि पर चल रही चुना खदानों को क्षेत्र की शारा नामक स्वंयसेवी संस्था ने अवैध खनन करार देते हुए प्रदेश सरकार से इन्हे निर्धारित मापदंड पूरे होने तक बंद करने की अपील की। इस बारे शुक्रवार को मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र की प्रति जारी करते हुए एनजीओ के मुख्य सचिव बीएन शर्मा ने यहां जारी बयान में कहा कि, वास्तव में बाहरी राज्यों के लोग परोक्ष रूप से यहां अवैध व अवैज्ञानिक तरीके से खनन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, स्थानीय लोगों के हिस्से में केवल प्रर्यावरण का नुक्सान अथवा साइड इफेक्ट्स ही आ रहे हैं। नागरिक उपमंडल की संगड़ाह की इन पांच लाइमस्टोन माइन से हर साल उद्यौगपतियों तथा सरकार को लाखों की आमदनी होने के बावजूद यहां खनन कार्यों तथा ओवरलोडेड ट्रकों की जांच की मूलभूत व्यवस्था तक नही है। क्षेत्र से हर रोज बिना वजन किए पांच दर्जन के करीब पत्थर के ट्रक बेरोकटोक निकलने तथा यहां खनन गतिविधियों की जांच के लिए एक माइनिंग गार्ड तक नियुक्त न होने को संस्था ने अवैध खनन को सरकारी छूट करार दे चुके हैं। कस्बे के मुख्य बाजार से निकलने वाले लाइमस्टोन के कईं ओवरलोडेड ट्रकों की तस्वीरें व वीडियो हालांकि यहां लगे दुकानदारों व पुलिस के सीसीटीवी कैमरों में भी देखी जाती है, मगर यहां गाड़ियों के वजन करने की व्यवस्था न होने के चलते विभाग के अनुसार चालान नहीं किए जा सकते हैं।
नागरिक उपमंडल संगड़ाह में एक भी माइनिंग गार्ड अथवा इंस्पेक्टर न होने के कारण यहां सैंकड़ों बीघा में मौजूद लाइमस्टोन एरिया में अवैध व अवैज्ञानिक खनन पर नियंत्रण रखना आसान नहीं है। विभाग के अनुसार हालांकि समय-समय पर अन्य क्षेत्रों से यहां खनन रक्षक को माइनिंग की जांच के लिए भेजा जाता है, मगर जिला में खाली पदों के चलते नियमित रूप से निरिक्षण के लिए कर्मचारी भेजना संभव नहीं है। गत वर्ष सरकार द्वारा संगड़ाह के लिए खनन पड़ताल चौकी भी स्विकृत की जा चुकी है, मगर खनन विभाग अथवा प्रशासन गत अक्टूबर माह से इसके लिए जमीन चयनित नही कर सके। लाइमस्टोन से लदे ट्रकों के पास मौजूद एम फार्म अथवा डब्ल्यू स्लिप में वेट संबंधी कालम खाली रखा जाता है, जो कि नियमानुसार सही नहीं है। स्वंयसेवी संगठनों के अनुसार हालांकि उक्त कालम खाली रखे जाने पर हांलांकि नियमानुसार कार्यवाही की जा सकती है, मगर प्रर्यावरण प्रेमी किंकरी देवी के इस गृह क्षेत्र में अब तक ऐसा नहीं हुआ। संबंधित पुलिस अधिकारियों के अनुसार यहां वेट ब्रिज न होने के चलते ओवरलोडेड ट्रकों का चालान नहीं की जा सकता। क्षेत्र के एक प्रर्यावरण द्वारा ली गई आरटीआई के मुताबिक, हालांकि गत वर्ष संगड़ाह पुलिस द्वारा दो ओवरलोडेड चूना पत्थर ट्रकों के चालान किए गए, मगर अब संबंधित अधिकारियों के अनुसार वेट ब्रिज न होने की बात कहते हैं। बहुत ज्यादा लदे ट्रकों से राहगीरों तथा दुपहिया वाहनों पर पत्थर गिरने का खतरा भी रहता है।
इस उपमंडल में सरकार द्वारा 782 बीघा के करीब भूमि पर खनन कार्य की अनुमति दिए जाने के बावजूद यहां माइनिंग अथवा अवैध खनन की जांच के लिए माइनिंग निरिक्षक, धर्म कांटा, चैक पोस्ट व लीज एरिया की जीओ टैगिंग जैसी मूलभूत व्यवस्था तक नही है। राष्ट्रीय लॉक डाउन के दौरान भी प्रशासन द्वारा चूना पत्थर से कैटल फीड बनने के नाम पर यहां खनन गतिविधियां चालू रखी गई। संगड़ाह कॉलेज के समीप मौजूद गुप्ता हिमालय माइन व नाहन मार्ग पर स्थित वालिया माइन संगड़ाह तथा दुर्गा माइन आदि खदानों से पत्थर के ओवरलोड ट्रक बिना वजन जांच के निकल रहे हैं। ट्रक आपरेटर यूनियन की स्थानीय इकाई द्वारा गत 4, नवंबर, 2019 को खनन व्यवसाइयों द्वारा ओवरलोडिंग के लिए उन पर दबाव डालने के मुद्दे पर एसडीएम संगड़ाह को लिखित शिकायत सौंपी गई थी। कईं सालों से यहां विपक्षी दलों नेता सरकार पर अवैध खनन के आरोप लगाते आ रहे हैं तथा सत्ता मिलने पर उक्त मुद्रा भूल जाते हैं। खनन व्यवसाइयों के अनुसार संगड़ाह के आसपास धर्म कांटा न होने के चलते गाड़ी को अंदाजन क्षमता के अनुसार लोड किया जाता है। जिला खनन अधिकारी सिरमौर एस चंद्र ने कहा कि, गत वर्ष उपमंडल संगड़ाह के लिए सरकार द्वारा एक माइनिंग चैक पोस्ट स्विकृत की जा चुकी है तथा उक्त चौंकी में धर्म कांटा भी लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि, चौकी के लिए जमीन चयनित किए जाने को लेकर एसडीएम संगड़ाह को लिखा जा चुका है। एसडीएम संगड़ाह राहुल कुमार के अनुसार फिलहाल उन्हें माइनिंग चैक पोस्ट को लेकर खनन विभाग से कोई पत्र नहीं मिला है तथा अधिकारिक पत्र मिलते ही जमीन संबंधी औपचारिकताएं पूरी करवाई जाएगी। डीएसपी संगड़ाह अनिल धौलटा के अनुसार चूना खदानों से निकलने वाले ट्रकों की समय-समय पर जांच की जाती है तथा तुला चौकी लगाने का मामला उनके विभाग से संबंधित नहीं है।
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