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देश और प्रदेश में महामारी कोरोना वायरस के बीच में हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज व शहरी निकायों के चुनाव कैसे होंगे, यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। इस पर प्रदेश के जिलाधीशों से राज्य चुनाव आयोग ने सुझाव मांगे हैं, जिनसे पूछा गया है कि आखिर वह कैसे चुनाव करवाएंगे। अहम यह है कि चुनावों को टाल नहीं सकते, क्योंकि एक्ट में इसका कोई प्रावधान नहीं है। गोरतलब हो की चुनाव आयोग ने इस संबंध में जिलाधीशों से सुझाव मांगे हैं और यह भी पूछा है कि डिलिमिटेशन की क्या स्थिति है, क्योंकि सभी जिलाधीशों से पहले यह कहा गया था कि पंचायतों के पुनर्सीमांकन को लेकर वह क्या कुछ कर रहे हैं और कोविड के कारण अब क्या स्थिति है। बहरहाल, कोविड संकट काल में राज्य निर्वाचन आयोग के समक्ष पंचायती राज संस्थाओं व स्थानीय निकाय के चुनाव करवाने की चुनौती खड़ी हो गई है।
हालांकि आयोग अपने स्तर पर चुनाव करवाने की तैयारियों में जुटा है, मगर कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलाव को रोकने के मद्देनजर सोशल डिस्टेंसिंग को बनाकर चुनाव कैसे होंगे, इसे लेकर आयोग विचार कर रहा है। आयोग को चुनाव से पहले मतदाता सूचियों का नवीकरण करने के साथ साथ मतदाता सूचियां भी छापनी हैं। प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं जिसमें पंचायतें, जिला परिषद व पंचायत समितियों के चुनाव आगामी साल 23 जनवरी से पहले होने हैं। इससे पहले निर्वाचन आयोग को स्थानीय निकाय के चुनाव 18 जनवरी तक संपन्न करवाने हैं। पंचायती राज कानून में चुनाव को आगे खिसकाने अथवा टालने का प्रावधान नहीं है। लिहाजा निर्वाचन आयोग चुनाव को संपन्न करवाने को लेकर मशक्कत करने में जुट गया है। उपायुक्तों को चुनाव को संपन्न करवाने को लेकर पहले ही पत्र भेजा जा चुका है। अभी मतदाता सूचियों का नवीकरण होना है। आयोग चुनाव का कार्यक्रम तय करता है। हालात सामान्य होने की स्थिति में आयोग सितंबर, अक्तूबर में चुनाव करवाने की कोशिश में है, जिसका लक्ष्य पहले से निर्धारित है, मगर इस समय पर यह चुनाव हो सकेंगे यह तय नहीं है।
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