खनन को प्रदेश सरकार उद्योग का दर्जा प्रदान करें ।
News portals-सबकी खबर (पांवटा साहिब )
जंहा एक और पूरी दुनिया को कोरोना महामारी ने जकड़ कर रखा है वही इस महामारी से कई देशो में भी आर्थिक स्थिति पर भी प्रभाव पड़ा है | देश भर में कोरोना कोविड-19 महामारी के चलते केंद्र व राज्य सरकार ने कई क्षेत्रों को राहत व छूट देकर आर्थिक संम्बल प्रदान किया है।
लेकिन सिरमौर के गिरिपार के एकमात्र आय का साधन लाईम स्टोन खनन का व्यवसाय अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। खनन क्षेत्र को रॉयल्टी व टैक्स में छूट की मांग अब पुरजोर तरीके से उठने लगी है। सिरमौर माइन ओनर एसोसिएशन ने सीएम जयराम ठाकुर व प्रदेश सरकार से इस मांग को प्राथमिकता से पूरा करने की मांग रखी है। खनन को उधोग का दर्जा प्रदान करे, जिससे हजारों लोगों के आय के स्त्रोत इस व्यवसाय को डूबने से बचाया जा सकें।
सिरमौर के खनन व्यवसायी आरपी तिवारी, चतर सिंह ठाकुर व फतेह सिंह समेत खनन व्यवसायियों का कहना है कि 1962 से सिरमौर में खनन व्यवसाय शुरु हुआ। एक समय जिले में लाईम स्टोन की 59 माईनें थी। जो आज 15 तक सिमट गई है। इसकी हालत भी बेहद खराब चल रही है। कोरोना संकट के बीच केंद्र सरकार ने उद्योगों को टैक्स और अन्य फीस अदा करने के लिए उचित समय दिया गया। लेकिन माहमारी के इस दौर में भी चूना पत्थर व्यवसायियों को रॉयल्टी एडवांस जमा करवानी पड़ रही है।चूना पत्थर से जुड़े व्यवसाय व उद्योग चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। खनन मालिकों को प्रति मीट्रिक टन रॉयल्टी की अग्रीम राशि भुगतान करना पड़ रहा है। इसके बाद ही खनन विभाग फिर एम -फॉर्म को जारी करता है। गिरिपार के करीब 10 हजार लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से खनन व्यवसाय से जुड़े हैं। खनन को समय रहते नही बचाया गया तो गिरिपार का एकमात्र आय का साधन डूब जायगा।
वहीं, सिरमौर माइन ओनर एसोसिएशन अध्यक्ष मीत सिंह ठाकुर का कहना है कि घाटे का सौदा साबित हो रहे खनन व्यवसाय के साथ सौतेला व्यवहार ही किया जाता रहा है। दशकों से प्रदेश की हर सरकार से खनन को उद्योग का दर्जा प्रदान करने की मांग उठाई जाती रही है। वैश्विक कोरोना माहमारी में हर वर्ग व व्यवसायियों को कुछ न कुछ छूट व राहत केंद्र व राज्य सरकार दे रही
हैं। लेकिन, खनन पट्टेदारों को आज भी अग्रिम रूप से रॉयल्टी राशि जमा करवानी पड़ रही है। अतिरिक्त वस्तु कर भी हर माह जमा करवाना पड़ रहा, माईन बंद होने पर भी डेड रेंट देना पड़ता है। खनन मालिक को प्रति मीट्रिक टन के हिसाब से रॉयल्टी जमा करवाने के साथ ही डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड, वस्तु कर तथा नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट एडवांस में जमा करवाना पड़ता है। उद्योग का दर्जा नही मिलने पर खनन व्यवसाय को किसी भी प्रकार का ऋण, सब्सिडी के अलावा सरकार का किसी भी प्रकार की छूट नहीं मिलती है। आज राजस्थान समेत अन्य राज्यों से मुकाबले में खनन को दिक्कतें आ रही है। उधर, खाद्य आपूर्ति निगम हिप्र उपाध्यक्ष बलदेव तोमर ने कहा कि सिरमौर
माइन संघ की मांगों को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व प्रदेश सरकार के समक्ष पहुंचा दिया जाएगा।
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