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26 किलोमीटर लंबे रेणुकाजी बांध के डूब क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सबसे बड़े गांव सींऊ के खस्ताहाल रज्जू मार्ग को लेकर समाचार प्रकाशित किए जाने के बाद उक्त तार-झूले की मुरम्मत विभाग द्वारा करवाई गई। दरअसल गिरी नदी व पालर खड्ड के बीच बसे इस गांव के लोगों के लिए बरसात में यातायात का प्रमुख साधन दोनों नदियों पर बने रज्जू मार्ग अथवा झूले है। गत वर्ष इन दोनों रज्जू मार्ग की मुरम्मत पर हालांकि बीडीओ संगड़ाह के माध्यम से 2 लाख 80 हजार का बजट खर्च हो चुका है, मगर एक साल के भीतर ही उक्त झूले फिर से खराब हो गए थे।
ग्रामीणों के अनुसार रज्जू मार्गों की गरारियां अथवा बैरिंग खराब होने से झूला बीच नदी में जाकर रुक रूक रहा था, जिसे बुधवार को ठीक करवाया जा चुका है। डेम के डूब क्षेत्र में आने वाले इस गांव की भूमि अधिग्रहण करने के सरकार द्वारा करीब 80 लाख का भुगतान किया जा चुका है तथा नियमानुसार यहां पुल बनाने जैसा निर्माण कार्य भी नहीं हो सकता। ग्रामीणों ने रज्जू मार्ग की मुरम्मत के लिए बीडीओ संगड़ाह, प्रशासन व मीडिया का धन्यवाद किया तथा हर साल की तरह इस बार भी रज्जू मार्ग से नदी पार करवाने के लिए टेंडर जारी करने की मांग की। करोड़पतियों का गांव कहलाने वाले सीऊं के लोग अब तक सीएम व पीएम कोविड-19 कोष में करीब एक लाख की राशि जमा करवा चुके हैं।
संगड़ाह से सीऊं जाने वाली कच्ची सड़क बरसात में बंद हो जाती है तथा ऐसे में लोगों को तारों से बनी रस्सियों के ऊपर से जोखिम उठाकर गुजरना पड़ रहा है। नदियों में बरसात का पानी ज्यादा होने के चलते इन दिनों पैदल अथवा तैरकर नदियां पार करना संभव नहीं है। बीडीओ कार्यालय के कनिष्ठ अभियंता यशपाल शर्मा ने बताया कि, खराब हुए रज्जू मार्ग की मुरम्मत पर मात्र पांच हजार के करीब राशि खर्च हुई। बीडीओ संगड़ाह केडी कश्यप ने कहा कि, सीऊं गांव में गिरी नदी पर बने रज्जू मार्ग की मुरम्मत करवाई जा चुकी है तथा जल्द पंचायत को इसके संचालन की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं।
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