News portals-सबकी खबर (वाशिंगटन)
चीन के साथ जारी तनाव के बीच अमरीका ने साउथ चाइना सी से लेकर हिंद महासागर तक अपनी गश्त बढ़ा दी है। चीन के नजदीक साउथ चाइना सी में युद्धाभ्यास खत्म करने के बाद अमरीकी नेवी के सातवें बेड़े में शामिल एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस निमित्ज अब अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के पास पहुंच गया है। इस क्षेत्र में भारतीय नौसेना पहले से ही युद्धाभ्यास कर रही है। गौरतलब है कि अमरीका के सुपरकैरियर्स में यूएसएस निमित्ज को बहुत ताकतवर माना जाता है। परमाणु शक्ति से चलने वाले इस एयरक्राफ्ट कैरियर को अमरीकी नौसेना में तीन मई 1975 को कमीशन किया गया था।
यह कैरियर स्ट्राइक ग्रुप 11 का अंग है, जो अकेले अपने दम पर कई देशों को बर्बाद करने की ताकत रखता है। 332 मीटर लंबे इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर 90 लड़ाकू विमानों और हेलिकॉप्टर्स के अलावा 3000 के आसपास नौसैनिक तैनात होते हैं। भारत के साथ अमरीका, जापान और आस्ट्रेलिया हिंद महासागर में चीन को घेरने के लिए तैयार बैठे हैं। अगर अब ड्रैगन ने कोई भी हिमाकत की तो उसका अंजाम उसे भुगतना पड़ेगा। चीन के व्यापार का बड़ा हिस्सा हिंद महासागर के जरिए ही खाड़ी और अफ्रीकी देशों में जाता है। जबकि, चीन अपने ऊर्जा जरूरतों का बड़ा आयात इसी रास्ते करता है। अगर भारतीय नौसेना ने इस रूट को ब्लॉक कर दिया तो चीन को तेल समेत कई चीजों के लिए किल्लत झेलनी होगी। अभी चीन-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर भी पूरा नहीं हुआ है, ऐसे में चीन इस रास्ते भी कोई आयात-निर्यात नहीं कर सकता। हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए अमरीका ने अपने तीन एयरक्राफ्ट कैरियर्स को इस इलाके में तैनात किया है। वहीं, अमरीका के आक्रामक रवैये से बौखलाया चीन बार-बार युद्ध की धमकी दे रहा है।
कभी भारत के खिलाफ जंग को पहुंचा था यह बेड़ा
एयरक्राफ्ट कैरियर यूएएस निमित्ज अमरीका के सातवें बेड़े में शामिल है। यह बेड़ा 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान बंगाल की खाड़ी के नजदीक पहुंच गया था। इसका मकसद बांग्लादेश में मात खा रही पाकिस्तानी सेना की सहायता करना था। लेकिन उस समय भारत के साथ रूस मजबूती के साथ खड़ा हो गया, जिसके कारण अमरीका के सातवां बेड़े को वापस लौटना पड़ा था।
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