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केंद्रीय कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। अब मानव संसाधन मंत्रालय को शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा। बुधवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। कैबिनेट बैठक के बाद एचआरडी मिनिस्टर रमेश पोखरियाल निशंक और सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर ने नई शिक्षा नीति के बारे में विस्तार से बताया। मानव संसाधन मंत्रालय को अब फिर से शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा। शुरुआत में इस मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय ही था लेकिन 1985 में इसे बदलकर मानव संसाधन मंत्रालय का नाम दिया गया। नई शिक्षा नीति के मसौदे से इसे फिर से शिक्षा मंत्रालय नाम देने का सुझाव दिया गया था। वही रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि नई शिक्षा नीति के बाद भारत ज्ञान की महाशक्ति बनकर उभरेगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को व्यापक विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक से गहन चर्चा परामर्श के बाद इसे तैयार किया गया। नई शिक्षा नीति के तहत अब स्ट्रीम सिस्टम को बंद कर दिया जाएगा यानी स्टूडेंट्स के सामने किसी स्ट्रीम के सब्जेक्ट की बाध्यता नहीं रहेगी। नई शिक्षा नीति के तहत एम फिल कोर्सेज को खत्म किया जा रहा है।
लीगल और मेडिकल कॉलेजों को छोड़कर सभी उच्च शिक्षण संस्थानों का संचालन सिंगल रेग्युलेटर के जरिए होगा। पांचवी तक पढ़ाई के लिए होम लैंग्वेज, मातृ भाषा या स्थानीय भाषा माध्यम होगा। यूनिवर्सिटीज और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एन्ट्रेंस एग्जाम होंगे। छठी कक्षा के बाद से ही वोकेशनल एजुकेशन की शुरुआत होगी। सभी सरकारी और निजी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक तरह के मानदंड होंगे। नई शिक्षा निति के अनुसार बोर्ड एग्जाम रटने पर नहीं बल्कि ज्ञान के इस्तेमाल पर अधारित होंगे। नई शिक्षा का लक्ष्य 2030 तक 3-18 आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है। छठी क्लास से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे।इसके लिए इसके इच्छुक छात्रों को छठी क्लास के बाद से ही इंटर्नशिप करवाई जाएगी। इसके अलावा म्यूज़िक और आर्ट्स को बढ़ावा दिया जाएगा। इन्हें पाठयक्रम में लागू किया जाएगा। उच्च शिक्षा के लिए एक सिंगल रेगुलेटर रहेगा (लॉ और मेडिकल एजुकेशन को छोड़कर) यानी अब यूजीसी और एआईसीटीई समाप्त कर दिए जाएंगे और पूरे उच्च शिक्षा के लिए एक नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठन किया जाएगा।
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