News portals-सबकी खबर (पांवटा साहिब )
पांवटा-शिलाई नेशनल हाईवे छह अक्तूबर को धंस गया था। करीब 16 दिन यह मार्ग बंद रहा लेकिन, लोनिवि ने हल्के में लेते हुए मलबा काटकर सड़क बना दी। परिणाम यह हुआ कि आज यह मार्ग फिर बंद हो गया था। यदि समय रहते इस संवेदनशील स्थान पर विकल्प तलाशा गया होता तो आज यह नौबत नहीं आती।
शनिवार को सड़क धंसने से यातायात बंद होने के कारण लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कोई छोटे-छोटे बच्चों के साथ मलबे पर पैदल चल रहा था तो कोई जोखिम उठाकर निजी वाहनों में गिरि नदी को पार करते हुए देखा गया। यहां तक की एक गर्भवती महिला सड़क किनारे प्रसव पीड़ा से तड़फती रही। वही गिरी नदी में पहले ही दिन तीन वाहन नदी में फंसे देखे गए |
अक्तूबर महीने में इस सड़क का करीब 150 फीट हिस्सा धंस गया था। सड़क 16 दिनों तक बंद रही। विभाग ने उस दौरान मलबे पर ही सड़क तो निकाल दी लेकिन, यहां बार-बार पत्थर गिर रहे हैं। अब करीब 20 मीटर का हिस्सा धंसने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सड़क बंद होने से लोगों की दुश्वारियां बढ़ गई हैं।
कफोटा के समीप बोकाल गांव की एक महिला को प्रसव की पीड़ा हो रही थी लेकिन सड़क बंद होने के कारण पांवटा नहीं जा पाए। वैकल्पिक सड़क के तौर पर मालगी सड़क से ही जा सकते थे लेकिन गिरि नदी को पार करने का जोखिम भी उठाना था। लिहाजा एंबुलेंस नहीं जा सकी। परिजनों ने किराये की गाड़ी कर महिला को जैसे-तैसे पांवटा सिविल अस्पताल पहुंचाया जहां पर महिला ने बच्चे को जन्म दिया। यदि कुछ देर ओर हो जाती तो महिला का प्रसव रास्ते में ही सकता था। महिला के साथ गई आशा वर्कर सीमानी देवी ने बताया कि 1000 रुपये भाड़ा देकर महिला को सतौन से पांवटा पहुंचाया गया है।
उधर, गिरि नदी को पार कर पांवटा और शिलाई की ओर जाने वाले कई वाहन पानी के बहाव और गहराई में फंस गए। इस वजह से यहां लोगों को दिक्कतें हुईं। जेसीबी की सहायता से वाहनों को निकाला गया। निशांत, रामचंद्र, कुलदीप, वेद प्रकाश, राम लाल, सुंदर सिंह, धनबीर सिंह, रमेश चंद, खत्री सिंह, रोहित कुमार, गुरुसेवक ने बताया कि सड़क बंद होने की वजह से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वे घंटों तक फंसे रहे। सड़क का विभाग को स्थायी हल निकालना चाहिए।
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