News portals-सबकी खबर (सिरमौर)
हिमाचल पुलिस को चाइल्ड लाइन सिरमौर से मिले आंकड़े यही कहानी कह रहे हैं। जिले के छह ब्लॉक ऐसे हैं, जहां पांच साल में अब तक 189 बाल विवाह दर्ज किए गए हैं। हिमाचल के सिरमौर जिले की 36 पंचायतें बाल विवाह का गढ़ बनी हुई हैं। कई मामले बड़ी संख्या में सिस्टम की नजर से दूर रह जाते हैं। हिमाचल पुलिस ने अब इस आंकड़े को महिला एवं बाल विकास विभाग से साझा कर उचित कदम उठाने को कहा है। हाल ही में डीजीपी संजय कुंडू ने सिरमौर जिले का दौरा किया था।
इस दौरान पाया गया कि जिले के गिरीपार क्षेत्र के छह ब्लॉक रेणुका जी, नाहन, पच्छाद, शिलाई, पांवटा साहिब और राजगढ़ में बाल विवाह की प्रथा जायदा प्रभावी है। इस पर कोई रोक-टोक नहीं है।डीजीपी संजय कुंडू ने कहा कि सीआईडी ने निदेशक महिला एवं बाल विकास को पत्र लिखकर उचित कदम उठाने के लिए कहा है। इन कारणों से प्रचलित है बाल विवाह सीआईडी की जांच में बाल विवाह के प्रचलन के पीछे स्थानीय खुमली सिस्टम बड़ा कारण बनकर उभरा है। डीजीपी के निर्देश पर सीआईडी ने जानकारी जुुटाई तो चाइल्ड लाइन के आंकड़ों से पता चला कि 2020 में ही अब तक 25 बाल विवाह के मामले दर्ज किए गए हैं। 2019 में 49, 2018 में 51, 2017 में 41 और 2016 में 23 मामले सामने आए हैं।
आर्थिक गतिविधियों की कमी, गरीबी, अशिक्षा और गुणवत्ता पूर्व शिक्षा व्यवस्था का न होना, दहेज, बालिकाओं का स्कूल से ड्रॉप आउट होना भी बड़ी वजह है।बाल विवाह की कुप्रथा रोकने के लिए सीआईडी ने निदेशक महिला एवं बाल विकास को कई सुझाव दिए हैं। डीआईजी क्राइम बिमल गुप्ता की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि जिले में पंचायत स्तर पर टास्क फोर्स गठित की जाएइसमें पंचायत सदस्यों के अलावा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, महिला सशक्तीकरण संस्थाओं को शामिल किया जाए। क्षेत्र में जागरूकता अभियान और स्कूल ड्रॉपआउट के आंकड़े पर नजर रखने के अलावा गरीब परिवारों के बच्चाें को पढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता और कौशल विकास के अवसर उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
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