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हिमाचल के 11 दवा उद्योगों में निर्मित दवाएं व सेनेटाइजर गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं उतर पाए हैं। प्रदेश के तीन उद्योगों में निर्मित हैंड सेनेटाइजर व आठ उद्योगों में निर्मित दवाएं सबस्टैंडर्ड पाई गई हैं।केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की जांच में निर्मित दवाएं सबस्टैंडर्ड पाई गई हैंचीन में निर्मित स्टंट भी जांच में घटिया निकला है।
सीडीएससीओ के जुलाई के ड्रग अलर्ट में हिमाचल के 11 दवा उद्योगों में निर्मित दवाएं व सेनेटाइजर सबस्टैंडर्ड पाए गए हैं। हिमाचल में बनी दवाओं में गैस्ट्रिक की दवा जोनेरब, बुखार व दर्द निवारक दवा जैपारा-एक्सटी, हाई बीपी की दवा रेमिगल 5, सेनेजर हैंड सेनेटाइजर, एमेजिसक, फल्यूकोजोल इंजेक्शन, एस्टिलोप्राम, कार्वीडलोल, कैल्शियम विटामिन-डी टैबलेट, एडीश्योर सेनेटाइजर व मेडिप्लस सेनेटाइजर के सैंपल अधोमानक पाए गए हैं।सीडीएससीओ ने देश भर के अलग-अलग राज्यों से 808 दवाओं के सैंपल एकत्रित किए थे, जिनमें से जांच के दौरान 35 दवाएं व अन्य उत्पाद सबस्टैंडर्ड पाए गए, जबकि 773 दवाएं गुणवत्ता के पैमाने पर सही पाई गई हैं।
सीडीएससीओ के ड्रग अलर्ट के बाद राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने हरकत में आते हुए संबंधित दवा उद्योगों को नोटिस जारी कर बाजार से फेल हुए दवा उत्पादों का पूरा बैच हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं राज्य दवा नियंत्रक प्राधिकरण के डिप्टी ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर ने बताया कि संबंधित फार्मा कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए उन्हें सबस्टैंडर्ड दवा का पूरा स्टॉक बाजार से हटाने के आदेश दे दिए गए हैं।
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