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वन पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन और आजीविका सुधार जैसे महत्त्वपूर्ण व महत्त्वाकांक्षी कार्यों में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने पर बल दिया। वनों पर निर्भर समुदायों की आर्थिकी में सुधार के लिए उन्हें निजी भूमि के साथ-साथ वन भूमि पर भी औषधीय व सुगंधित पौधों की खेती की इजाजत दी जाएगी।
प्रदेश में हरित क्षेत्र बढ़ाने के साथ-साथ लोगों के सतत् सामाजिक व आर्थिक विकास की दिशा में आगे बढ़ने के लिए महिलाओं की भी बराबर भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। यह बात शुक्रवार को वन मंत्री राकेश पठानिया ने शिमला के पार्ट्स हिल में वन पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन और आजीविका सुधार परियोजना मुख्यालय में आयोजित बैठक में कही।
वन मंत्री का कार्य संभालने के बाद परियोजना मुख्यालय का उनका यह पहला दौरा था। आठ सौ करोड़ रुपए की यह परियोजना जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जाईका) ने वित्त पोषित की है।परियोजना प्रबंधन के अब तक के प्रयासों की सराहना करते हुए वन मंत्री ने कहा कि वह फील्ड में जाकर गतिविधियों का खुद जायजा लेंगे।
उन्होंने परियोजना कार्यान्वयन की गति को और तेज करने के लिए निर्देश दिए। पठानिया ने कहा कि 2030 तक प्रदेश का हरित क्षेत्र (ग्रीन कवर) मौजूदा 27.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति में इस परियोजना का अहम योगदान होगा।
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