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November 27, 2024

गौरक्षा के नाम पर सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेकने वालों के लिए युवा पत्रकार सचिन का करारा जवाब

युवा पत्रकार व गौ संरक्षक सचिन ने अपना मकान सहित जमा पूंजी दांव पर लगा कर एक गौशाला का निर्माण करवाया है |

News portals-सबकी खबर (पांवटा साहिब )

जिला सिरमौर के उपमंडल पांवटा साहिब  में गौरक्षा के नाम पर सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेकने वालों के लिए सचिन सचमुच एक करारा जवाब है युवा पत्रकार व गौ संरक्षक सचिन ने अपना मकान सहित जमा पूंजी दांव पर लगा कर एक गौशाला का निर्माण करवाया है |

बता दे कि पांवटा साहिब के युवा गौ रक्षक सचिन ओबराय ने सोशल मीडिया पर अपनी एक फोटो शेयर कर अपनी बात सामने रखी है।गौ संरक्षण हेतु तन मन धन समर्पित करने की बात कहते हुए बताया कि “उन्हें बताते हुए गर्व होता है कि अपना तन-मन-धन व घर-परिवार का भविष्य दांव पर लगाकर हम पांवटा साहिब के बहराल गांव में एक गौशाला के निर्माण कार्य में लगे हैं।”

सचिन ने बताया कि  “गौमाता सड़कों पर दर-दर भटकते देख बचपन से हृदय में एक पीड़ा सी थी। पहले उप्र ले जा रहे कसाईयों से भिड़कर विभिन्न गौशालाओं में गौवंश पहुंचाने से लेकर सड़कों पर घूम रही गऊओं का पशु चिकित्सकों की मदद से ईलाज करने जैसे कार्य करता रहा”। मजबूर व बेसहारा इंसान के लिए तो सभी बहुत कुछ करते हैं पर बेज़ुबान गौमाता के लिए हमने आज तक कुछ नहीं किया”।

सचिन संघर्ष की दास्तां सुनाते हुए कहते हैं कि “लिहाजा परिवार से यह वादा लेकर कि यदि इस कार्य को अपना घर-गाड़ी या बाकी सब कुछ बेचना पड़े तो प्राण रहने तक पीछे नहीं हटेंगे, हमने पिछले वर्ष पांवटा स्थित अपने आवास पर हाऊस लोन बनाया और अन्य समस्त जमा पूंजी निकालकर इस कार्य के लिए जमीन खरीदी और निर्माण कार्य शुरू किया”।

जिसमें परिवार की सारी पूंजी व घर सहित कुछ मित्रों से लिया उधार लगा दिया जिसकी किश्तें भी लगातार जा रही हैं”।परिवार की भी कोई ज्यादा बड़ी पूंजी या कमाई नहीं कि इतना कर पाते ईश्वर ने कैसे यहां तक पहुंचाया वही जाने। सचिन कहते हैं कि “लाॅकडाऊन के बाद कार्य में कुछ गति आई और गौमाता ने यहां अपने चरण रख हमें धन्य किया”।‘बचपन से जो वैराग्य, फकीरी, सेवा और गौप्रेम की इच्छा मन में थी वह पूरी सी होने लगी। शायद ईश्वर ने इसीलिए हमें चुना तभी ऐसे विचार मन में बचपन से थे”।

“न किसी से कुछ हाथ फैलाकर मांगना पड़े, न भीड़ ईकट्ठा कर इस बाबत चंदे एकत्र कर कमाई का ज़रिया बनाया जाए इसलिए ज्यादा प्रचार-प्रसार भी नहीं किया और न ही कोई भी सरकारी सहयोग लिया, बस स्वयं अपने स्तर पर इस कार्य में अभी तक लगे हैं”। सचिन ने बताया कि ‘फिल्हाल सबकुछ दांव पर है पर चारों ओर से हाथ बंध जाने के बाद भी हम निरंतर इस कार्य में लगे हैं। जैसे-जैसे व्यवस्था बनेगी और जितनी सामर्था होती जाएगी, जल्द गुरू की नगरी पांवटा साहिब की सड़कों से गौवंश यहां लाया जा सके युवा सचिन ओबरॉय गौ रक्षा के नाम पर राजनीति करने वाले अथवा संसाधनों का रोना रोने वाले लोगों के लिए मिसाल बन कर उभरे हैं।

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