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जरूरत के अनुसार 20 या 20 से अधिक कामगारों को अनुबंध पर रखा जायेगा
हिमाचल प्रदेश औद्योगिक विवाद संशोधन विधेयक 2020 में व्यवस्था है कि राज्य में निवेशकों को अधिक आकर्षित किया जा सके। औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 में लंबे समय से संशोधन नहीं किया गया था। सरकार का मानना है कि इससे निवेशकों को आकृष्ट करने में बाधा आ रही थी। उद्योगों के विवादों को सुलझाने को सरल कर दिया है। सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अनुसार देश और प्रदेश में कारोबार करने की सुगमता रहेगी। दो सौ कामगारों तक के उद्योगों को कुछ समय के लिए बंद करने को सरकार से मजूरी लेनी पड़ती थी और ऐसा नहीं करना होगा।
उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने प्रदेश में इन्वेस्टर्स मीट के बाद उद्योग लगाने के लिए निवेशक आकर्षित करने को तीन संशोधन विधेयक सदन में पारित कर दिए हैं। हिमाचल प्रदेश ठेका श्रम विनियमन और उत्सादन अधिनियम संशोधन विधेयक सदन में पारित करने को लाया गया। इस संशोधन के बाद अब उद्योगों में उत्पादन की जरूरत के अनुसार कामगार रखे जा सकेंगे। उद्योगों में जरूरत के अनुसार 20 या 20 से अधिक कामगारों को अनुबंध पर रखा जा सकेगा। कामगार एक साल तक अनुबंध पर रख सकेंगे। 20 से नीचे के कामगारों का रिकॉर्ड नहीं रखना होगा।
हिमाचल प्रदेश कारखाना संशोधन विधेयक 2020 में संशोधन निवेशकों को आकर्षित करने के लिए किया है। कारखाने में दस से अधिक लोग काम करते हैं और बिजली का इस्तेमाल कर सामान तैयार नहीं होता है तो वहां बीस मजदूर रख सकेंगे। जिन कारखानों में बिजली का उपयोग किया जाता है तो वहां बीस कामगार काम करते हैं तो ऐसे कारखानों में चालीस कामगार रखे जा सकेंगे। ऐसी लघु इकाइयां भी कारखाने की परिभाषा में आती हैं। मजदूरों को 115 दिन का ओवरटाइम और दोगुनी मजदूरी दी जा सकेगी। सीटू के प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा मानते हैं कि इससे ठेका प्रथा बढ़ेगी। पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाया गया है। कारखाना एक्ट में संशोधन सिर्फ इमरजेंसी में किया जा सकता है। मजदूर इन संशोधन विधेयकों का विरोध करेंगे।
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