News portals-सबकी खबर (धर्मशाला)
पालमपुर में तीन लाख दस हजार से अधिक का घोटाला सामने आने के बाद परिवहन निगम के हालात पर हर कोई सवाल खड़े करने लगा है। सूत्रों की मानें, तो पालमपुर डिविजन में जो मामला सामने आया है, यह फिलहाल निगम के इंटरनल ऑडिट में ही सामने आया है। यदि किसी बाहरी टीम से ऑडिट करवाया जाए, तो कई धांधलियां सामने आ सकती हैं। यह भी मांग उठ रही है
कि यदि वर्ष 2000 से लेकर 2020 तक का परिवहन निगम का ऑडिट करवाया जाए, तो करोड़ों के घोटाले सामने आएंगे और कई अधिकारी व कर्मचारी बेनकाब हो जाएंगे। इस बात को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं कि परिवहन निगम के कर्मचारी लाखों रुपए की राशि को अपने खाते में डालते रहे और संबंधित क्षेत्रों के आरएम भी उन पर हस्ताक्षर करते रहे। इस तमाम व्यवस्था को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। परिवहन निगम में हालात ऐसे बन गए हैं कि निगम के अपने ही कर्मचारी और अधिकारी एचआरटीसी को खोखला करने में लगे हुए हैं।
यही वजह है कि हर वर्ष परिवहन निगम लाखों रुपए के घाटे में जाता है। आलम यह है कि लगातार सामने आ रहे घोटालों के बाद अब एचआरटीसी के कई अधिकारी शिमला के चक्कर काट रहे हैं कि पुराना ऑडिट न करवाया जाए। अधिकारी और कर्मचारी सरकार और उच्च अधिकारियों को मैनेज करने में लगे हुए हैं, लेकिन निगम को बचाने के लिए पुराने मामलों को उखाड़ना ही पड़ेगा, नहीं तो निगम कभी भी घाटे से नहीं उबर पाएगा।
पालमपुर में भी चंबा की तर्ज पर निगम के कैशियर व कर्मचारी पे एरियर की राशि को अपने खाते में डालते रहे। पालमपुर में 31 मई, 2018 से 2019 तक का ही ऑडिट किया गया है। यदि पुराने मामले को भी देखा जाए, तो यह घोटाला और कई लाखों में जा सकता है। परिवहन मंत्री विक्रम ठाकुर का कहना है कि उन्होंने विभाग का जिम्मा संभालने के बाद से ही सख्त निर्देश दिए हैं कि पूरी पारदर्शिता के साथ काम किया जाए। उन्होंने कहा कि चंबा और देहरा दोनों मामलों में कड़ी कार्रवाई की है
और इस मामले में संबंधित सभी अधिकारियों व कर्मचारियों पर उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि पालमपुर मामले में भी किसी को बख्शा नहीं जाएगा। अन्य स्थानों पर काम करने वाले अधिकारी व कर्मचारी भी इस बात का ध्यान रखें कि उनके परिवार का भरण पोषण परिवहन निगम से ही हो रहा है, इसलिए इसकी चिंता करना उनका दायित्व है। यदि भ्रष्टाचार करने की कोई भी व्यक्ति कोशिश करेगा, तो उसे किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।
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