News portals-सबकी खबर (शिमला)
केंद्र द्वारा कृषि संबधी बनाए गए नए कानून में बदलाव को लेकर प्रदेश के पांवटा साहिब से किसानों ने उच्चतम न्यायालय में पहली याचिका दायर की है। इस याचिका के माध्यम से किसानों ने यह दावा किया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा और इसकी सरकारी दस्तावेज जारी होने के बाद पांच जून, 2020 को यह अध्यादेश लाए गए, जो अब कानून का रूप भी अख्तियार कर चुके हैं। ऐसे में केंद्र सरकार का पूरे देश के किसानों के साथ कानूनी अनुबंध माना जाएगा।
ब्लू प्रिंट विजन कमेटी के संयोजक अनिंद्र सिंह नौटी की अगवाई में पांवटा साहिब के कई किसान एसडीएम कार्यालय पांवटा साहिब पहुंचे और एसडीएम एलआर वर्मा को यह याचिका सौंपी।एक बार अनुबंध होने के बाद दूसरी पार्टी किसानों की फसल खरीदने के लिए कानूनी रूप से सक्षम होगी। उन्होंने कहा कि किसानों ने अपनी धान की फसल केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी और अध्यादेशों के बाद बिजाई की है। इसलिए केंद्र सरकार सरकारी खरीद एजेंसियों के माध्यम से इसको पांवटा साहिब में ही खरीदने के लिए बाध्य है। अगर केंद्र सरकार या उसकी एजेंसियां किसानों की फसल को नहीं खरीदती हैं, तो इस कानून के हिसाब से यह इस अनुबंध या कांट्रैक्ट का उल्लंघन माना जाना चाहिए।
केंद्र सरकार पांवटा साहिब और देश के बहुत से हिस्सों में इस अध्यादेश और कानून पारित होने के बाद भी किसानों की फसल की सरकारी खरीद फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं कर रही। ऐसे में सभी ने स्थानीय एसडीएम की अदालत में न्याय का विश्वास और भरोसा जताया है। याचिका दायर करने वालों में प्रगतिशील किसानों में जगदीश चौधरी, सिमरत सिंह प्रधान निहालगढ़, मनजीत सिंह, विनय गोयल तथा सलामत अली आदि शामिल रहे हैं।
पांवटा साहिब के कुछ प्रगतिशील किसानों ने नए कृषि सुधार कानूनों के अंतर्गत पूरे भारत वर्ष में पहली याचिका स्थानीय एसडीएम एलआर वर्मा की अदालत में दायर की है, क्योंकि इस कानून के हिसाब से इसमें किसानों के किसी भी विवाद या समस्या पर स्थानीय एसडीएम को ही सुनवाई का अधिकार है। इस मौके पर स्थानीय किसान महबूब अली, भूपेंद्र सिंह, प्रीतपाल सिंह, ओम प्रकाश कटारिया आदि भी मौजूद रहे। उधर, एसडीएम पांवटा साहिब एलआर वर्मा ने कहा कि वह इस याचिका का कानून के तहत विश्लेषण कर आगामी कार्रवाई अमल में लाएंगे।
Recent Comments