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आईआईटी मंडी सुपर कम्प्यूटर केंद्र स्थापित करेगा। आईआईटी ने इसके लिए सी-डैक के साथ 17 करोड़ का करार किया है। सेंटर फार डिवेलपमेंट ऑफ एडवांस कम्प्यूटिंग (सी-डैक) पुणे के साथ आईआईटी का यह करार हुआ है। यह 650 टीएफ कम्प्यूट पावर के साथ अनुसंधान और विकास कार्यों में उपयोग होगा। वर्तमान में भी आईआईटी मंडी में 2014 से ही संस्थान का अपना उच्च-प्रदर्शन कम्प्यूटिंग हेटरोजेनस क्लस्टर है। इस केंद्र के 400 से अधिक रजिस्टर्ड यूजर हैं,
जो आईआईटी के शोध समुदाय के लोग हैं। ये लिक्विड मैकेनिक्स, इंजीनियरिंग, जैव प्रौद्योगिकी, आणविक गतिशीलता और कम्प्यूटेशनल रसायन विज्ञान आदि क्षेत्रों में कार्यरत हैं। नई सुपरकम्प्यूटिंग प्रणाली में वर्तमान क्लस्टर से 13 गुना अधिक कम्प्यूटिंग पावर होगा। इससे न केवल संस्थान में एचपीसी के उपयोग और अनुसंधान का परिवेश बेहतर होगा, बल्कि शोध की क्षमता भी बढ़ेगी। इस उद्देश्य से संस्थान पहले से मौजूद एचपीसी क्लस्टर और टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (टीआईएच) के साथ नए केंद्र की स्थापना के लिए सेंट्रलाइज्ड सुपरकम्प्यूटिंग बिल्डिंग बना रहा है। सुपरकम्प्यूटर काम में अत्यंत तेज और बहुत अधिक मेमोरी वाला कम्प्यूटर है।
वहीं एमओयू पर प्रो. अजीत के चतुर्वेदी निदेशक आईआईटी मंडी और डा. हेमंत दरबारी, महानिदेशक सी-डैक भारत ने एक वर्चुअल आयोजन में हस्ताक्षर किए। इस मौके पर संजय धोत्रे राज्य मंत्री (इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षा और संचार) भारत सरकार और प्रोफेसर आशुतोष शर्मा सचिव विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार मौजूद थे। एमओयू पर पांच साल की अवधि के लिए हस्ताक्षर किए गए हैं और आपसी सहमति से इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है।
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