प्रदेश कार्यसमिति में लिए जाने से विस उम्मीदवार की दावेदारी के चर्चे
News portals-सबकी खबर (संगड़ाह)
बार-बार भाजपा प्रत्याशी बदलने के लिए जाने जाने वाले रेणुकाजी विधानसभा क्षेत्र से एलआईसी से वीआरएस ले चुके नारायण सिंह की बीजेपी में औपचारिक एंट्री हो गई है। एलआईसी में बतौर असिस्टेंट डिविजनल मैनेजर कार्यरत नारायण सिंह नौकरी के 6 साल शेष होने के बावजूद गत दिसंबर माह स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके हैं। नारायण सिंह को मंगलवार को भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा अध्यक्ष नीतेश कुमार द्वारा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य नियुक्त किया गया। इससे पूर्व पिछले करीब दस माह से वह क्षेत्र के विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों तथा भाजपा की बैठकों व गतिविधियों में नियमित रूप से शामिल होते रहे हैं।
उनकी धमाकेदार एंट्री से क्षेत्र में इस बात की भी चर्चा शुरू हो गए हैं कि, आगामी विधानसभा चुनाव में वह भाजपा उम्मीदवार हो सकते हैं। उपमंडल संगड़ाह के गांव काकोग से संबंध रखने वाले नारायण सिंह संभावित भाजपा विधानसभा प्रत्याशी है, इस बारे हालांकि अभी कोई अधिकारिक जानकारी नहीं मिली है, मगर भाजपा मंडल इकाई के कुछ लोग उन्हें बतौर विधानसभा प्रत्याशी उतारे जाने के लिए प्रयासरत है। नारायण सिंह ने इस बारे पूछे जाने पर महज इतना कहा कि, वह पार्टी के हर दायित्व का निर्वहन करेंगे। गौरतलब है कि, नारायण सिंह स्थानीय कांग्रेस विधायक विनय कुमार के गांव अथवा रिलेशन से हैं तथा उन्हें बतौर उम्मीदवार उतारे जाने से उपमंडल संगड़ाह अथवा पालवी क्षेत्र की 21 पंचायतों से भाजपा को बढ़त मिलने के भी चर्चे हैं। नारायण सिंह द्वारा दिसंबर, 2019 में सृवैच्छिक सेवानिवृत्ति ली गई है।
गौरतलब है कि, 1980 के दशक से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस क्षेत्र से भाजपा व जनता दल द्वारा सरकारी नौकरी कर रहे एक जाती विशेष से संबंध रखने वाले मोहनलाल आजाद, रूप सिंह, बलवीर चौहान तथा हृदय राम चौहान को सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देने के बाद भाजपा का टिकट दिए जा चुके हैं। इनमें से केवल सेवानिवृत्ति अतिरिक्त उपायुक्त हृदय राम चौहान ही अब तक भाजपा के टिकट से जीत सके हैं, जबकि रूप सिंह जनता दल के चुनाव चिन्ह जीते थे। क्षेत्र से लगातार दूसरी विधायक चुने गए विनय कुमार के पिता दिवंगत प्रेम सिंह बतौर कांग्रेस विधायक छः बार इलाके का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, इसलिए भाजपा को यहां बार-बार जिताऊ उम्मीदवार की तलाश रहती है। हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री डॉ यशवंत परमार का विधानसभा चुनाव रहे रेणुकाजी से बार-बार उम्मीदवार बदला भी यहां भाजपा की हार का एक मुख्य कारण समझा जाता है।
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