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शिमला के टुटू क्षेत्र में बाल मजदूरी का मामला सामने आया है की देवी-देवताओं की इस भूमि को पूजने वाली इस जगह पर बेटियां खुद को सेफ महसूस नहीं करती हैं।के एक रसूखदार ने 15 साल की बेटी को दूसरे राज्य से लाया। वहीं, पिछले एक साल से उसे नौकर तो बनाया ही है, साथ ही उसकी इस कद्र पिटाई की जा रही है, मानो इनसान ही हैवान बन गया है।, जिससे मानवता एक बार फिर से शर्मसार हुई है। देवभूमि में इस तरह के मामले सुनने में अच्छे नहीं लगते, लेकिन जब इस तरह की घटनाएं सामने आती है, तो
फिलहाल सामाजिक संस्था उमंग फाउंडेशन ने यह मामला शिमला पुलिस के सामने लाया है। उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव की शिकायत पर शिमला पुलिस ने टुटू के एक मकान से एक 15 वर्षीय मासूम बच्ची को छुड़वाया। अजय श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि लड़की एक प्रभावशाली कारोबारी व्यक्ति के घर में घरेलू नौकर की तरह काम करती थी और उसकी बुरी तरह पिटाई की जाती थी।
अजय श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें किसी ने फोन कर बताया कि टुटू में लगभग एक वर्ष से नाबालिग लड़की को घर में गुलामों की तरह रखा गया है। उसकी बुरी तरह पिटाई किए जाने से उसे शारीरिक और मानसिक चोटें पहुंचती हैं। उन्होंने तुरंत शिमला के पुलिस अधीक्षक मोहित चावला से बात की और बच्ची को रेस्क्यू करने के लिए कहा। मोहित चावला ने भी तुरंत कार्रवाई करते हुए कुछ घंटों के भीतर ही उस प्रभावशाली व्यक्ति के घर पर छापा मारा और बच्ची को रेस्क्यू कर लिया गया।
बताया जा रहा है कि लड़की मध्य प्रदेश के किसी जिले की रहने वाली है। पुलिस अब उसका कोविड टेस्ट करवाने के बाद उसे सोमवार को जूवेनाइल जस्टिस कोर्ट में पेश करेगी। अजय श्रीवास्तव ने कहा कि यह कोई साधारण मामला नहीं है, बल्कि इसके पीछे मानव तस्करी का बड़ा रैकेट हो सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस समूचे मामले को मानव तस्करी के दृष्टिकोण से देखा जाए, ताकि असली अपराधियों का पता चल सके। पहले भी हिमाचल में नाबालिग लड़कियां मानव तस्करी के जरिए लाई जाती रही हैं।
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