देवता के नए मंदिर में प्रवेश के साक्षी बने डाहर व हरिपुरधार के आसपास के ग्रामीण
News portals-सबकी खबर (संगड़ाह)
सिरमौर जनपद की सदियों पुरानी लोक संस्कृति व परम्पराओं को कायम रखने के लिए मशहूर गिरिपार क्षेत्र के लोगों की स्थानीय देवी देवताओं के प्रति आस्था कायम है। इसका एक और उदाहरण आज हरिपुरधार के साथ लगते दूरदराज गांव डाहर में देखने को मिला, जहां महासू देवता के शांत समारोह में बर्फीली ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। गुरुवार को यहां पर प्राचीन शैली में बने मन्दिर में महासू देवता की प्राण प्रतिष्ठा हुई। इस अवसर पर यहां पर शांत पूजन व जागरण का आयोजन किया गया। पारम्परिक वाद्य यंत्र दमेनू, ढोल, रणसिंघा व शहनाई की देव ताल पर विधि विधान से महासू देवता आज नवनिर्मित मंदिर में विराजमान हुए।
जैसे ही वाद्य यंत्र बजने शुरू हुए वैसे ही समूचा क्षेत्र भक्तिमय हो गया व कई देवी देवताओं के गुर वाद्य यंत्रों पर नाचने लगे। इस दौरान दर्जनों श्रद्धालुओं में देवात्मा अथवा देवता की खेल भी आई और माहोल भक्तिमय हो गया। क्षेत्र के छोटे बड़े लोग व महिलाएं खुशी में रासा नृत्य करने लगे। इस दौरान अपने कुल देवता के आशीर्वाद पाने के लिए क्षेत्र के आधा दर्जन गांव के ग्रामीण एकत्रित हुए व महासू देवते का आशीर्वाद लिया गया। गौरतलब है कि, यहां पर महासू देवता को कईं दशक पहले उत्तराखण्ड हनोल में स्थित मूल मंदिर से लाया गया था।
साथ लगते क्षेत्र में बर्फबारी व यहां हो रही बारिश की परवाह किए बिना उक्त दैवीय आयोजन किया गया। गौरतलब है कि, गिरिपार के अंतर्गत आने वाले उपमंडल संगड़ाह, शिलाई व राजगढ़ के लगभग सभी गांव में शिरगुल महाराज व विजट महाराज के मंदिर मौजूद है। कई गांव में समय समय पर कुल देवता के शान्द यज्ञ अथवा जागरण का आयोजन भी होता है। देवठन एकादशी में देव कार्यों को विशेष महत्व दिया जाता है।
Recent Comments