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राज्य निर्वाचन आयोग ने शहरी निकायों के चुनाव में उतरने वाले उम्मीदवारों के लिए खर्च की सीमा तय कर दी है। हालांकि अभी तक चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं हुई है, मगर चुनाव आयोग ने अपने कामों को अंजाम देना शुरू कर दिया है।
चुनाव में धनबल का प्रयोग न किया जाए, इसके लिए चुनाव आयोग तय करता है कि किस उम्मीदवार को कितना खर्चा करना है। बाकायदा इसका सुबूत भी लिया जाता है और जो अधिक खर्च करते हैं, उन पर कार्रवाई भी की जाती है। आदेशों के अनुसार जिला परिषद सदस्य का चुनाव लड़ने वाला कोई भी उम्मीदवार एक लाख रुपए से अधिक की रकम खर्च नहीं कर सकेगा। प्रदेश में नगर निगम चुनाव में किस्मत आजमाने वाले उम्मीदवार भी एक लाख से अधिक की रकम खर्च नहीं कर पाएंगे। नगर परिषदों के वार्ड सदस्य 75 हजार तथा नगर पंचायत प्रत्याशी के खर्च की सीमा 50 हजार तय की है। चुनाव के दौरान मंत्रियों, विधायकों, अध्यक्षों व उपाध्यक्षों के सरकारी वाहनों के उपयोग पर पाबंदी रहेगी।
प्रचार के दौरान ये लोग सरकारी वाहनों में नहीं जा सकेंगे। रैलियां करने के लिए उम्मीदवारों को संबंधित अधिकारियों से पहले अनुमति लेनी होगी। सरकारी कर्मचारी प्रचार में भाग नहीं ले पाएंगे। किसी सरकारी कर्मचारी के परिवार का कोई सदस्य अगर चुनाव लड़ रहा है, तो उसे चुनाव के दौरान अवकाश नहीं मिलेगा। सरकारी विश्राम गृह सत्तारूढ़ दल समर्थित प्रत्याशी की तरह ही अन्य दलों के समर्थित उम्मीदवारों को भी मिलेंगे, जिसके लिए भी नियम तय हैं। (एचडीएम)
नौ से शाम सात बजे तक लाउड स्पीक से प्रचार
चुनाव के दौरान उद्घाटनो, शिलान्यासों पर पाबंदी रहेगी। सरकार मतदाताओं को प्रभावित करने वाला कोई भी विज्ञापन जारी नहीं कर सकेगी। प्रचार के दौरान लाउड स्पीकर का उपयोग संबंधित अधिकारियों की अनुमति से ही किया जा सकेगा। अनुमति के बावजूद प्रातः नौ से शाम सात बजे तक ही लाउड स्पीकर के उपयोग की अनुमति होगी।
आचार संहिता लगते ही लागू हो जाएंगे आदेश
सभी निर्देश कोड ऑफ कंडक्ट के लागू होने के बाद अमल में लाए जाएंगे, जिनकी अवहेलना नहीं की जा सकती। एक तरफ से यह कोड ऑफ कंडक्ट की निर्देशावली राज्य चुनाव आयोग ने तैयार कर दी है, जो कि चुनावी तारीख की अधिसूचना जारी होने के साथ यहां पर लागू होंगे। माना जा रहा है कि इसी सप्ताह चुनाव की तारीख घोषित हो जाएगी।
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