Breaking News :

मौसम विभाग का पूर्वानुमान,18 से करवट लेगा अंबर

हमारी सरकार मजबूत, खुद संशय में कांग्रेस : बिंदल

आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद 7.85 करोड़ रुपये की जब्ती

16 दिन बाद उत्तराखंड के त्यूणी के पास मिली लापता जागर सिंह की Deadbody

कांग्रेस को हार का डर, नहीं कर रहे निर्दलियों इस्तीफे मंजूर : हंस राज

राज्यपाल ने डॉ. किरण चड्ढा द्वारा लिखित ‘डलहौजी थू्र माई आइज’ पुस्तक का विमोचन किया

सिरमौर जिला में स्वीप गतिविधियां पकड़ने लगी हैं जोर

प्रदेश में निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निवार्चन के लिए तैयारियां पूर्ण: प्रबोध सक्सेना

डिजिटल प्रौद्योगिकी एवं गवर्नेंस ने किया ओएनडीसी पर क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन

इंदू वर्मा ने दल बल के साथ ज्वाइन की भाजपा, बिंदल ने पहनाया पटका

April 16, 2025

संगड़ाह में पुश्तों से कृषि उपकरण बनाने की परंपरा कायम, घिल्ले, टोकरी, छाबी व ओड़े आदि उक्त समुदाय की आजीविका का मुख्य जरिया

News portals-सबकी खबर ( संगड़ाह)

उपमंडल संगड़ाह तथा क्षेत्र के कई अन्य हिस्सों में विशेष समुदाय से संबंध रखने वाले दस्तकार पुश्तों से कृषि उपकरण बनाने की परंपरा कायम रखे हुए हैं। घिल्ले, टोकरी, छाबी व ओड़े आदि आदि उक्त समुदाय की आजीविका का मुख्य जरिया हैं। बांस, निगाल, बीऊल व तूंग आदि पेड़-पौधों की स्टिक को चीर कर यह उपकरण तैयार किए जाते हैं। इनके बिना क्षेत्र में कृषि का अस्तित्व संभव नहीं है।

सुंदर सिंह, बलीराम व रविंद्र आदि दस्तकारों ने बताया कि हालांकि इस पेशे से उन्हें बहुत ज्यादा आमदनी नहीं होती, मगर वे खाली समय में खेती अथवा मजदूरी भी करते हैं।

कल्याण व उद्योग विभाग द्वारा हालांकि कई बार इन पुश्तैनी दस्तकारों के लिए प्रशिक्षण व अनुदान जैसी छोटी-मोटी योजनाएं भी शुरू की गईं, मगर दूरदराज क्षेत्रों में रहने वाले अधिकतर लोगों को इनका लाभ नहीं मिला। इनके अधिकतर औजार जहां स्थानीय लोहार बनाते हैं, वहीं इनके प्रशिक्षण के लिए देश के किसी भी आईटीआई अथवा इंजीनियरिंग कॉलेज के पास ट्रेनर उपलब्ध नहीं हैं।

Read Previous

संगड़ाह के रनवा गांव के समीप अचानक आग लगने से दो दर्जन के करीब ग्रामीणों की घासनियां जलकर राख हुई

Read Next

हिमाचल प्रदेश में नए कोविड स्ट्रेन को लेकर मचा हड़कंप, ब्रिटेन से आए 15 लोगों की हो रही तलाश

error: Content is protected !!