News portals-सबकी खबर(पांवटा साहिब)
एक तरफ सरकार 3 साल के पुरा होने का जशन मना रही है तो दूसरी तरफ करुणामूलक आश्रित परिवार दर दर ठोकरें खाने को मजबूर हैं | करुणामूलक संघ के उपाध्यक्ष अजय कुमार ने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए यह बात कही है कि करूणामूलक नोकरियों के मुद्दे को सरकार ने 3 सालों मैं दरकिनार् ही किया है सरकार ने करूणामूलकों के लिए सालाना 2.50 लाख आय सीमा की पॉलिसी तो बना दी है पर नोकरियां देने के मामलों मैं असमर्थ रही है क्योंकि सरकार ने पॉलिसी मे नोकरियां देने के मामलों को 5% कोटे की शर्त मे बाँध दिया है क्योंकि 5% कोटे के हिसाब से बहुत कम पद बनते है जिससे दिन प्रतिदिन करूणामूलकों आश्रितों की संख्या बढ़ रही है पर सरकार करूणामूलकों को रोजगार मुहेया करवाने में असमर्थ रही है कोरोना महामारी के चलते इन परिवारों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है एक तो इन परिवारों का कमाने वाला गुजर चुका है और उपर से कोरोना महामारी के चलते इन परिवारों की स्थिति दयनीय है | फिर भी सरकार को आश्रित परिवारों के प्रति कोई दयाभाबना देखने को नही मिली है पता नही सरकार क्यु आश्रित परिवारों को दरकिनार करती आयी है अजय कुमार का कहना है कि कुछ विभागों मैं करूणामूलकों को, 5% कोटा तक भी नही दिया जा रहा है इस बात को विभागों की मनमानी कहे या सरकार की नाकामी, यह स्वय मुख्यामंत्री जी ही बता सकते हैं अजय कुमार का कहना है कि यह बात मुख्यामंत्री जी के संदर्भ मैं भी लाई गयी है पर इस पर सरकार की कोई प्रतिक्रिया देखने को नही मिली है ।
बता दे कि सरकार के पास विभिन्न विभागों , बोर्ड व निगमों में 4500 से ज्यादा करुणामूलक नोकरी सम्बन्धी मामले पहुंचे है प्रभावित परिवार करीब 15 साल से नौकरी का इंतजार कर रहें है उन्होने बताया कि कई विभागों , बोर्ड व निगमों में कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु होने के बाद आश्रित परिवार दर दर की ठोंकरें खाने को मजबुर है और हर रोज कार्यालयों के चक्कर लगा रहे है लेकिन आश्वाशनों के सिवा आज दिन तक कुछ हाथ नही लगा है सभी करूणामुलक आश्रितों ने हिमाचल सरकार के 3 साल पुरा होने पर फिर से गुहार लगाई है कि करुणामूलक नोकरी मामलों पर जल्द से जल्द उचित फैसला लें व पीड़ित परिवारों को करुणामूलक आधार पर नियुक्तियाँ प्रदान करे।
करुणामूलक संघ ने कहा है करुणामूलक आधार पर नोकरी के लिए one time relaxation के तहत सभी पदों को एक साथ भरने की कृपा करें व करूणामूलक अाधार पर दी जाने वाली नौकरीयो से आय का दायरा हटाये जाने की मांग की और कहा गया कि पेंशन व अन्य भतो को सालाना इनकम में ना जोडा जाये और 5% कोटे की शर्त को पूर्ण रूप से हटा दिया जाए ताकि विभिन्न विभाग अपने तोर पर नोकरियाँ दे सकें तथा आश्रितों को शेक्षणिक योग्यता के अनुसार विभिन्न श्रणीयों मैं नोकरियाँ दी जाए।
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